अज्ञात की ओर | Aghyat Ki Our
श्रेणी : दार्शनिक / Philosophical, धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
204 KB
कुल पष्ठ :
33
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
ओशो (मूल नाम रजनीश) (जन्मतः चंद्र मोहन जैन, ११ दिसम्बर १९३१ - १९ जनवरी १९९०), जिन्हें क्रमशः भगवान श्री रजनीश, ओशो रजनीश, या केवल रजनीश के नाम से जाना जाता है, एक भारतीय विचारक, धर्मगुरु और रजनीश आंदोलन के प्रणेता-नेता थे। अपने संपूर्ण जीवनकाल में आचार्य रजनीश को एक विवादास्पद रहस्यदर्शी, गुरु और आध्यात्मिक शिक्षक के रूप में देखा गया। वे धार्मिक रूढ़िवादिता के बहुत कठोर आलोचक थे, जिसकी वजह से वह बहुत ही जल्दी विवादित हो गए और ताउम्र विवादित ही रहे। १९६० के दशक में उन्होंने पूरे भारत में एक सार्वजनिक वक्ता के रूप में यात्रा की और वे समाजवाद, महात्मा गाँधी, और हिंदू धार्मिक रूढ़िवाद के प्रखर आलो
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अज्ञात की ओर अज्ञात की ओर 4 अज्ञात की ओर चौथा प्रवचन सूरत 29 जून 1967 संध्या नीति का पाखंड मैं अत्यंत आनंदित हूं कि आपसे संध्या अपने हदय की थोड़ी सी बातें कर सकूंगा। अभी कहा गया कि यह समय अंधकार पूर्ण है और यह युग पतन का भौतिकवाद का और मेटेरियलिज्म का है। सबसे पहले मैं आपको मैं निवेदन कर दूं यह बात अत्यंत गलत है। यह बात झूठी है। इस बात से यह भ्रम पैदा होता है कि पहले के लोग प्रकाशपूर्ण थे और आज के लोग अंधकारपूर्ण हैं। इससे यह भ्रम पैदा होता है कि पहले कि लोग अंधकार में नहीं थे और हम अंधकार में हैं। इस भ्रम के पैदा हो जाने के कुछ कारण हैं लेकिन यह बात सच नहीं है। हम अनैतिक हैं हम मारल हैं और पहले के लोग नैतिक थे यह बात भी ठीक नहीं है। अगर पहले के लोग नैतिक थे तो महावीर ने किसको समझाया कि हिंसा मत करो चोरी मत करो असत्य मत बोलो। बुद्ध ने किसको उपदेश दिए। राम और कृष्ण किन लोगों को समझा रहे थे अच्छा होने के लिए? अगर लोग अच्छे थे तो ये उपदेश व्यर्थ थे झूठे थे। इनकी कोई जरूरत न थी। ये दुनिया में पुरानी सदियों मे इतने -इतने बडे शिश्चक दुए ये क्यों पैदा हुए?
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