अमी झरत बिगसत कँवल | Ami Jharat Bigsat Kanwal
श्रेणी : दार्शनिक / Philosophical, धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2400 KB
कुल पष्ठ :
359
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
ओशो (मूल नाम रजनीश) (जन्मतः चंद्र मोहन जैन, ११ दिसम्बर १९३१ - १९ जनवरी १९९०), जिन्हें क्रमशः भगवान श्री रजनीश, ओशो रजनीश, या केवल रजनीश के नाम से जाना जाता है, एक भारतीय विचारक, धर्मगुरु और रजनीश आंदोलन के प्रणेता-नेता थे। अपने संपूर्ण जीवनकाल में आचार्य रजनीश को एक विवादास्पद रहस्यदर्शी, गुरु और आध्यात्मिक शिक्षक के रूप में देखा गया। वे धार्मिक रूढ़िवादिता के बहुत कठोर आलोचक थे, जिसकी वजह से वह बहुत ही जल्दी विवादित हो गए और ताउम्र विवादित ही रहे। १९६० के दशक में उन्होंने पूरे भारत में एक सार्वजनिक वक्ता के रूप में यात्रा की और वे समाजवाद, महात्मा गाँधी, और हिंदू धार्मिक रूढ़िवाद के प्रखर आलो
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अभी इरत बिगसत कंवल नमो नमो हरि गुरु नमो पहला प्रवचन दिनांक ११ मार्च १९७६ श्री रजनीश आश्रम नमो नमो हरि गुरु नमो नमो नमो सब संत। जन दरिया बंदन करै नमो नमो भगवंत।। दरिया सतगुर सब्द सौं मिट गई खैंचातान। भरम अधरा मिट गया परसा पद् निरवान।। सोता था बहू जन्म का सतगुरु दिया जगाय। जन दरिया गुर सन्द सौं सव दुख गये विलाय।। रात विना फीका लगै सव किरिया सास्तर ग्यान। दरिया दीपक कह करै उदय भया निज भान।। दरिया नरत्तन पायकर् कीया चाह काज। राव रंक दोनो तरै जौ वैठै नाम-जहाज।। मुसलमान हिंदू कहा पट दरसन रंक राव। जन द्रिया हरिनाम विन सव पर जम का दाव।। जो कोई साधू गृही म माहि राम भरपूर। दरिया कह उस दास की मैं चरनन की धूर।। दरिया सुमिरै राम को सहज तिमिर का नास। घट भीतर होय चांदना परमजाति परकास।। सतगर-संग न संचरा रामनाम उर नाहि।
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