आनंद गंगा | Anand Ganga
श्रेणी : दार्शनिक / Philosophical, धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
612 KB
कुल पष्ठ :
81
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
ओशो (मूल नाम रजनीश) (जन्मतः चंद्र मोहन जैन, ११ दिसम्बर १९३१ - १९ जनवरी १९९०), जिन्हें क्रमशः भगवान श्री रजनीश, ओशो रजनीश, या केवल रजनीश के नाम से जाना जाता है, एक भारतीय विचारक, धर्मगुरु और रजनीश आंदोलन के प्रणेता-नेता थे। अपने संपूर्ण जीवनकाल में आचार्य रजनीश को एक विवादास्पद रहस्यदर्शी, गुरु और आध्यात्मिक शिक्षक के रूप में देखा गया। वे धार्मिक रूढ़िवादिता के बहुत कठोर आलोचक थे, जिसकी वजह से वह बहुत ही जल्दी विवादित हो गए और ताउम्र विवादित ही रहे। १९६० के दशक में उन्होंने पूरे भारत में एक सार्वजनिक वक्ता के रूप में यात्रा की और वे समाजवाद, महात्मा गाँधी, और हिंदू धार्मिक रूढ़िवाद के प्रखर आलो
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आनंद गंगा 1.जिज्ञासा का लोक. एक अंधेरी रात में एक युवक ने एक साधु से पूछा कि क्या आप मुझे सहारा न देंगे अपने गन्तव्य पर पहुंचने मे? गुरु ने एक दीया जलाया और उसे साथ लेकर चला। और जब वे आश्रम का द्वार पार कर चुके तो साधु ने कहा-अब मैं अलग हो जाता हूँ। कोई किसी का साथ नहीं कर सकता है और अच्छा है कि तुम साथ के आदी हो जाओ मैं इसके पहले विदा हो जाऊं। इतना कह कर उस घनी रात में अंघेरी रात में उ सने उसके हाथ के दीये को भी फूंक कर बुझा दिया। वह युवक बोला-यह क्या पाग लपन हुआ? अभी तो आश्रम के हम वहार भी नहीं निकल पाये साथ भी छोड दिया ओर दीया भी बुझा दिया। उस साधु ने कहा-दूसरों के जलाये हु ए दीये का कोई मूल्य नहीं है। अपना ही दीया हो तो अंधेरे में काम देता है किसी दूसरे के दीये काम नहीं देते। खुद के भीतर से प्रकाश निकले तो ही रास्ता प्रकाशि तहोता है ओर कसी तरह रास्ता प्रकाशित नहीं होता। तो मैं निरंतर सोचता हूं लोग सोचते होंगे कि मैं आपके हाथ में कोई दीया दे दूंगा जिससे आपका रास्ता प्रकाशित हो जायेगा तो आप गलती में हैं। आपके हाथ में दीया होगा तो मैं उसे बड़ी निर्ममता से फूंक कर बुझा सकता हूं। मेरी मंशा और मे रा इरादा यही है कि आपके हाथ में अगर कोई दूसरे का दिया हुआ प्रकाश हो तो मैं उसे फूंक दूं उसे बुझा दूं। आप अंधेरे में अकेले छूट जाएं कोई आपका संगी-स थी हो तो उसे भी छीन लूं। और तभी जब आपके पास दूसरों का जलाया हुआ प्र काश न रह जाए और दूसरों का साथ न रह जाए तब आप जिस रास्ते पर चलते हैं उस रास्ते पर परमात्मा आपके साथ हो जात है और आपकी आत्मा के दीये के
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