अंतर की खोज | Antar Ki Khoj

Antar Ki Khoj by आचार्य श्री रजनीश ( ओशो ) - Acharya Shri Rajneesh (OSHO)

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

आचार्य श्री रजनीश ( ओशो ) - Acharya Shri Rajneesh (OSHO)

ओशो (मूल नाम रजनीश) (जन्मतः चंद्र मोहन जैन, ११ दिसम्बर १९३१ - १९ जनवरी १९९०), जिन्हें क्रमशः भगवान श्री रजनीश, ओशो रजनीश, या केवल रजनीश के नाम से जाना जाता है, एक भारतीय विचारक, धर्मगुरु और रजनीश आंदोलन के प्रणेता-नेता थे। अपने संपूर्ण जीवनकाल में आचार्य रजनीश को एक विवादास्पद रहस्यदर्शी, गुरु और आध्यात्मिक शिक्षक के रूप में देखा गया। वे धार्मिक रूढ़िवादिता के बहुत कठोर आलोचक थे, जिसकी वजह से वह बहुत ही जल्दी विवादित हो गए और ताउम्र विवादित ही रहे। १९६० के दशक में उन्होंने पूरे भारत में एक सार्वजनिक वक्ता के रूप में यात्रा की और वे समाजवाद, महात्मा गाँधी, और हिंदू धार्मिक रूढ़िवाद के प्रखर आलो

Read More About Acharya Shri Rajneesh (OSHO)

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
अतंर की खोज अंतर की खोज पहला प्रवचन शक छोटी सी घटना सै मैं आज की चर्चा शुरू करूंगा। एक गांव मैं एक अपरिचित फकीर का आगमन हुआ था। उस गांव के लोगों ने शुक्रवार के दिन जो उनके धर्म का दिन था उस फकीर को मस्जिद मैं बोलने के लिए आमंत्रित किया। वह फकीर बड़ी खुशी से राजी हो गया। लेकिन मस्जिद मैं जाने के बाद जहां कि गाँव के बहुत सै लोग इकट्ठा हुए थे उस फकीर ने मंच पर बैठ कर कहा मैरे मित्रो मैं जो बोलने को हूँ जिस संबंध मैं मैं बोलने वाला हूँ क्या तुम्हे पता है वह क्या है? बहुत से लोगों ने एक साथ कहा नहीं हमैं कुछ भी पता नहीं है। वह फकीर मंच सै नीचे उतर आया ओर उसने कलहाः एेसे अन्लानिर्यो के बीच बोलना मैं पसंद न करूंगा जो कुछ भी नहीं जानते। जो कुछ भी नहीं जानते हैं उस विषय के संबंध मैं जिस पर मुझे बोलना है उनके साथ कहां से बात शुरू की जाए? इसलिए मैं बात शुरू ही नहीं करूंगा। वह उतरा और वापस चला गया। वह सभ्षा वे लोग बड़े हैरान रह गए। ऐसा बोलने वाला उन्होंने कभी देखा न था। लेकिन फिर दूसरा शुक्रवार आया और उन्होंने जाकर उस फकीर सै फिर से प्रार्थना की कि आप चलिए बोलने। वह फकीर फिर से राजी हो गया और मंच पर बैठ कर उसने फिर पूछा मेरे मित्रो मैं जिस संबंध मैं बोलने को हूँ कया तुम्हें पता है वह क्या है? उन सारे लोगों ने कहा हां हमैं पता है। क्योंकि नहीं कह कर वे पिछली दफा भूल कर चुके थै। उस फकीर ने




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now