आत्म पूजा भाग २ | Atma Puja Vol 2

Atma Puja Vol 2 by आचार्य श्री रजनीश ( ओशो ) - Acharya Shri Rajneesh (OSHO)

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आचार्य श्री रजनीश ( ओशो ) - Acharya Shri Rajneesh (OSHO)

ओशो (मूल नाम रजनीश) (जन्मतः चंद्र मोहन जैन, ११ दिसम्बर १९३१ - १९ जनवरी १९९०), जिन्हें क्रमशः भगवान श्री रजनीश, ओशो रजनीश, या केवल रजनीश के नाम से जाना जाता है, एक भारतीय विचारक, धर्मगुरु और रजनीश आंदोलन के प्रणेता-नेता थे। अपने संपूर्ण जीवनकाल में आचार्य रजनीश को एक विवादास्पद रहस्यदर्शी, गुरु और आध्यात्मिक शिक्षक के रूप में देखा गया। वे धार्मिक रूढ़िवादिता के बहुत कठोर आलोचक थे, जिसकी वजह से वह बहुत ही जल्दी विवादित हो गए और ताउम्र विवादित ही रहे। १९६० के दशक में उन्होंने पूरे भारत में एक सार्वजनिक वक्ता के रूप में यात्रा की और वे समाजवाद, महात्मा गाँधी, और हिंदू धार्मिक रूढ़िवाद के प्रखर आलो

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आत्मा पूना भाग र आत्म-पूजा उपनिषद भाग 2 भगवान श्री रजनीश मैं प्रमाण हूं ऐसा संयोग कभी-कभी ही घटित होता हैं जव अस्तित्व और भगवत्ता किसी ८ यक्ति मग स्वयं को पूर्णता में अभिव्यक्त करती है। भगवान श्री रजनीश में भ गवत्ता की अभिव्यक्ति इस विरल संयोग की नवीनतम अपना है! भगवान श्री रजनीश आज एक उत्सव का नाम है। वे मनुष्य के सौभाग्य का पर्याय है। चेतनाओं के भाग्योदय का निमित्त हैं वे। वे एक सुअवसर हैं। उन को चुकना परम दुर्भाग्य है-उन्हें उपलब्ध करना और उनको उपलब्ध होना जी वन की सार्थकता एवं परम धन्यता! असंख्य प्रकार के नत्यान्वेपको को अलग-अलग भिन्न-भिन्न अनुकूल वोध ओर मार्गदर्शन देने की क्षमता उन्हीं की प्रज्ञा में है। इतने विराट और विशाल समू ह को मुक्ति-पथ पर ले जाने का उत्तरदायित्व उन्हीं की करुणा में है। प्रना और करुणा का ऐसा मिलन अभूतपूर्व है-अद्वितीय है! भगवान कहते हैं मैंने किसी से प्रेरणा नहीं ली। हां जव पूर्ण का अवतरण हुआ जव मेरा अंतर आकाश प्रकाश मे भर गया तव मैने जाना कि ऐसा ही बुद्ध को हुआ था तव मैं पहचाना कि ऐसा ही महावीर को हुआ था तव कबीर में भी मुझे वही झलक मिली-और जीसस में और जरथुस्त्र में और ला ओत्मु मे। लेकिन मेँ उनको गवाह हूं वे मेरे प्रेरणासरोत नहीं हैं। इस वात को नि ~




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