दीपक बारा नाम का | Deepak Bara Nam Ka
श्रेणी : दार्शनिक / Philosophical, धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.7 MB
कुल पष्ठ :
251
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
ओशो (मूल नाम रजनीश) (जन्मतः चंद्र मोहन जैन, ११ दिसम्बर १९३१ - १९ जनवरी १९९०), जिन्हें क्रमशः भगवान श्री रजनीश, ओशो रजनीश, या केवल रजनीश के नाम से जाना जाता है, एक भारतीय विचारक, धर्मगुरु और रजनीश आंदोलन के प्रणेता-नेता थे। अपने संपूर्ण जीवनकाल में आचार्य रजनीश को एक विवादास्पद रहस्यदर्शी, गुरु और आध्यात्मिक शिक्षक के रूप में देखा गया। वे धार्मिक रूढ़िवादिता के बहुत कठोर आलोचक थे, जिसकी वजह से वह बहुत ही जल्दी विवादित हो गए और ताउम्र विवादित ही रहे। १९६० के दशक में उन्होंने पूरे भारत में एक सार्वजनिक वक्ता के रूप में यात्रा की और वे समाजवाद, महात्मा गाँधी, और हिंदू धार्मिक रूढ़िवाद के प्रखर आलो
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दीपक बारा नाम का महल भया उजियार पहला प्रश्न भगवान दीपक वारा नाम का संत पलट के इस सूत्र से आज एक नयी प्रवचन माला शुरू हो रही है। कृप्या समञ्ञारं कि यह नाम का दीपक क्या है ओर संत पलटू किस नाम का जिक्र कर रहे हैं? चैतन्य कीर्ति! पूरा सूत्र इस प्रकार है-- पलटू अंधियारी मिटी वाती दीन्हीं बार। दीपक वारा नाम का महल भया उजियार्।। मनुष्य जन्मता तो है लेकिन जन्म के साथ जीवन नहीं निलता। ओर जो जन्म को ही जीवन समझ लेते है वै जीवन से चूक जाते है। जन्म केवल अवसर है जीवन को पाने का। वीज है फूल नहीं। संभावना है सत्य नहीं। एक अवसर है चाहो तो जीवन मिल सकता है न चाहो तो खो जाएगा। प्रतिपल खोता ही है। जन्म एक पहलू मृत्यु दूसरा पहलू। जीवन इन दोनों के पार है। जिसने जीवन को जाना उसने यह भी जाना कि न तो कोई जन्म है और न कोई मृत्यु है। साधारणतः लोग सोचते हैँ जीवन जन्म ओर मृत्यु के बीच जो है उसका नाम है। नहीं जीवन उसका नाम है जिसके मध्य में जन्म ओर मृत्यु बहुत वार घट चुके है बहूत वार घटते ररहैगे। तव तक घटते रहैग जब तक तुम जीवन को पहचान न लो। जिस दिन पहचाना जिस दिन प्रकाश हुआ जिस दिन भीतर का दीया जला जिस दिन अपने से मुन्लाकात हुई फिर उसके बाद न कोई लौटना है न कहीं आना न कहीं जाना। फिर
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