ज्यों मछली बिन नीर | Jyon Machhali Bin Neer
श्रेणी : दार्शनिक / Philosophical, धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.8 MB
कुल पष्ठ :
253
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
ओशो (मूल नाम रजनीश) (जन्मतः चंद्र मोहन जैन, ११ दिसम्बर १९३१ - १९ जनवरी १९९०), जिन्हें क्रमशः भगवान श्री रजनीश, ओशो रजनीश, या केवल रजनीश के नाम से जाना जाता है, एक भारतीय विचारक, धर्मगुरु और रजनीश आंदोलन के प्रणेता-नेता थे। अपने संपूर्ण जीवनकाल में आचार्य रजनीश को एक विवादास्पद रहस्यदर्शी, गुरु और आध्यात्मिक शिक्षक के रूप में देखा गया। वे धार्मिक रूढ़िवादिता के बहुत कठोर आलोचक थे, जिसकी वजह से वह बहुत ही जल्दी विवादित हो गए और ताउम्र विवादित ही रहे। १९६० के दशक में उन्होंने पूरे भारत में एक सार्वजनिक वक्ता के रूप में यात्रा की और वे समाजवाद, महात्मा गाँधी, और हिंदू धार्मिक रूढ़िवाद के प्रखर आलो
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ज्यो मछली बिन नीर पहला प्रश्न भगवान संत रज्जब ने क्या हम सोए हुए लोगों को देख कर ही कहा है ज्यूं मछली बिन नीर। समझाने की अनुकंपा करें। नरेद बोधिसत्व ओर किसको देख कर कर्हगे सोए लोगो की जमात ही है। तरहत्तरह की नीद है। अलग- अलग ठंग हैँ सोए होने के। कोई पद की शराब पी कर सोया है। लेकिन सारी मनुष्यता सोयी हुईं है। जिन्हें तुम धार्मिक कहते हो वे भी धार्मिक नहीं है क्योंकि बिना जागे कोई धार्मिक नहीं हो सकता है। हिंदू हैं मुसलमान हैं ईसाई हैं जैन हैं--लैकिन धार्मिक मनुष्य का कोई पता नहीं चलता। धार्मिक मनुष्य हो तो हिंदू नहीं हो सकता है। ये सब सोए होने के ढंग हैं। कोई मस्जिद मैं सोया हुआ है कोई मंदिर मैं सोया है। मैं एक बड़े प्यारे आदमी को जानता था। सरल थ अदभुत रूप से सरल थै! ओर आग्नेय भी थे अग्नि की तरह दग्ध कर दैं। नाम था उनका--महात्मा भगवानदीन। वै जब भी बोलते थे तो वीच-वीच मँ स्क जाते। कहते वायां हाथ ऊपर करो। अव दायां हाथ ऊपर करो। अव दोनों हाथ ऊपर करो। फिर कहते दोनों हाथ नीचे कर लो। मैंने उनसै पूछा कि यह बीच-बीच मैं रुक कर लोगों से कवायद क्यों करवानी? तो वे कहते यह तो मुझे पक्का हो जाए कि लोग जागे सुन रहे हैं कि सोए हैं। और मैंने देखा कि यह सच था। जब वै कहते बायें हाथ ऊपर करो तो कुछ तो करते ही नहीं कुछ दायें कर देते। अधिकतर लोग तो सोए ही हुए हैं--यूं भी आंखें खोले हुए भी सोए हैं। नींद का अर्थ है कि तुम्हें इस बात का पता नहीं कि तुम कौन हो। काश तुम्हैं पता हो जाए कि तुम कौन हो तो फिर जीवन मैं आनंद है फिर जीवन मैं एक सुवास है! क्योंकि फिर जीवन का फूल
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