राम दुवारे जो मरे | Ram Dware Jo Mare
श्रेणी : दार्शनिक / Philosophical, धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
331
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
ओशो (मूल नाम रजनीश) (जन्मतः चंद्र मोहन जैन, ११ दिसम्बर १९३१ - १९ जनवरी १९९०), जिन्हें क्रमशः भगवान श्री रजनीश, ओशो रजनीश, या केवल रजनीश के नाम से जाना जाता है, एक भारतीय विचारक, धर्मगुरु और रजनीश आंदोलन के प्रणेता-नेता थे। अपने संपूर्ण जीवनकाल में आचार्य रजनीश को एक विवादास्पद रहस्यदर्शी, गुरु और आध्यात्मिक शिक्षक के रूप में देखा गया। वे धार्मिक रूढ़िवादिता के बहुत कठोर आलोचक थे, जिसकी वजह से वह बहुत ही जल्दी विवादित हो गए और ताउम्र विवादित ही रहे। १९६० के दशक में उन्होंने पूरे भारत में एक सार्वजनिक वक्ता के रूप में यात्रा की और वे समाजवाद, महात्मा गाँधी, और हिंदू धार्मिक रूढ़िवाद के प्रखर आलो
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)राम दुवारे जो मरे आमुख ओशों की समग्रतावादी जीवनद्रष्टि व तदुजन्य नव-संन्यास को समझने में वहुत लोगों को कठिनाई होती है। मजा यह है कि कठिनाई का कारण इस जीवनशैली की दुरूहता नहीं उल्टे इसकी सरलता है। बात इतनी स्पष्ट इतनी सीधी सत्य व निकट की है कि इतने निकट सत्य को देखने सुनने समझने के न हम आदी हैं न ही राजी। कितु हम सुनें न सुनें समझें न समझें अब मनुष्य के सामने दूसरा कोई विकल्प है भी नह ं इस जीवनशैली के सिवा। ओशो की आध्यात्म व विज्ञान परमात्मा व संसार को डनेवाली जीवनद्रष्टि की कुछ झलकियां यहां देना उपयोगी समझता हूं जिनमें से कुछ उद्धरण इसी पुस्तक से और कुछ अन्य से हैं। ओणो कं वचन ` पश्चिम में जहां चीजें बहुत बढ़ गई हैं उनको तुम कहते हो भोतिकवादी लोग। सिर्पं इसीलिए कि उनके पास भौतिक चीजें ज्यादा हैं। इसलिए भौतिकवादी। और तुम आ ध्यात्मवादी क्योंकि तुम्हारे पास खाने-पीने को नहीं है छप्पर नहीं है नौकरी नहीं है। यह तो खूव आध्यात्म हुआ! ऐसे आध्यात्म का कया करोगे? ऐसे आध्यात्म को आग लगाओ। और जिनके पास चीजें बहुत हैं उनकी पकड़ कम हो गई है। स्वभावत । कितना पक डोगे? जिनके पास कुछ नहीं है उनकी पकड़ ज्यादा होती है। सच तो यह है कि जितनी भौतिक उन्नति होती है. उतना देश कम भौतिकवादी हो न ङ
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