आदिकाल की प्रामाणिक रचनाएँ | Aadikaal Ki Pramanik Rachnaye

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Aadikaal Ki Pramanik Rachnaye by गणपतिचन्द्र गुप्त - Ganpatichandra Gupt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ३ ) चल একক রা जैक जल उल्लिखित कवियो भे से केवल चन्दवरदायी ही एक ऐसे हैं, जिन्हे एके जी वः आदिकाल के हिन्दी कवि के हूप मे स्वीकार किया जा सकता है, शेष को यो ते रचनाएँ अनुपलब्ध हैं या वे परवर्ती युग के हैं । (ख) मिश्रवन्धुओं हारा-उल्लिखित रचनाएँ--- जैसा कि पीछे सकेत किया जा चुका है, मिश्रवन्धुओ ने 'मिश्रवन्धु-विनोद' के प्रथम संस्करण मे आरस्मिककाल (स० ७००-१४४४ वि०) के अन्तर्गत इन १६ कवियो को स्थान द्विया है-- १ > आ @ ~ ~ल न ४ ০) १० ११ १२ १३ १४. १५ १६. १७ १८ १६ पुष्य या पुड (रचना अज्ञात , काल ७७० वि०) अज्ञात कवि (खुमात रासो , ८६० वि०) नन्द कवि (रचना अज्ञात , ११३७ वि०) मसऊद [स० ११८० वि०) कुतुब श्लौ (स° ११८० वि०) सारईूदान चारण (सम्बतसार, स० ११६१} अकरम फज (वर्तमाल, स० १२०५-८ विर) * चन्द (पृथ्वीराज रासो, स० १३२५-४९ वि०) जगनिक (आत्हा) बेकार कवि बारदर वेणा (म० १२२५) जल्ह्‌न भूपति (भागवत दशम स्कन्ध भाषा १३४२} नरपति नाल्ट्‌ (वीमसलदेव रासो, सं १३५४} नतला (विजयपाल रासो : स० १३५५) णाज्ञ घर (हम्भीर काव्य , स० १३४७) अमीर खूसरो मुल्ला दाउद (नूरक चदा की प्रेम कहानी , स० १३८४५) गोरखनाथ (४० ग्रस्थ , स० १४०७) इनमे से पुष्य, तन्‍्द, मसऊद, कृतुबअली, केदार, वारदरवेणा और जल्हन--ये सात कवि तो ऐसे हैं जिनकी रचनाएँ ही उपलब्ध नही हैं । शेप मे से भूपति या भु गल को डा० रामकुमार वर्मा ने १७वी-१८वी शतती का कवि सिद्ध किया ই । वर्त - माल के रचयिता अकरमर्फन को मिश्रवन्धुओ ते जयपुर के महाराजा माधवर्सिह का आश्चित वत्ताया है--जयपुर सचहदी शत्ती मे बसाया गया था तथा महाराजा माघव- सिह उच्चीसवी शी में हुए ये, अत. यह कवि भी आदिकस्ल के स्थान पर आधुनिक पान का ही सिद्ध होता है। साई दान चारण, नत्लसिहु, और शाज्भुं घर क्री रचताओ




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