गीताबोध | Geetabodh
श्रेणी : धार्मिक / Religious, पौराणिक / Mythological
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
148
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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सांख्ययोग
[ मंगल प्रभात
जब अजुन कुच स्वस्थ हुआ तो भगवान्
ने उसे उलाहना दिया ओर कहा,
तुमे ऐसा मोह कहाँ से हो गया है ? तेरे जेसे
वीर पुरुष को यह शोभा नेहीं देता | परन्तु
इतने से अजुन का জীহু दूर होने बाला न था ॥
उसने लड़ाई से इनकार किया और कहा--
“इन सगे-सम्बन्धियों को ओर गुरुजनों को
मारकर राजपाट तो क्या, स्वगं का सुख भी
नहीं चाहिए। में तो असमंजस में पड़। हूँ; इस
समय धमे क्या है, कुद सममः नहीं पड़ता,
श्ापकी शरण मे ह मुके धमे सममाइषए ।”
॥ |
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