क्याशिल्प शुद्रकर्म्म है? | Kyashilp Shu8drakarmm Hai?

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Kyashilp Shu8drakarmm Hai? by मार्गशिर शुक्ल - Margshir Shukla

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ४ ) क पि नि সত क कामि = भनी एतेषा मेव वणां नां शुश्रपा मन सूयया ॥ मन॒स्खति अध्याय १ श्छोक ९! अथः- (प्रभः) परमश्वरने ( शृद्रस्य) जा विद्या हीन जिस का पढ़ने से भी विद्या आसके शर्रर से पृष्ठ सेवा में कुशल हो उस रा = आर का ४9 शूद्रके खयि [ एतेषामेव वणानाम्‌ ] इन ब्राह्मण क्षत्रिय और वेश्य तीनों वर्णों की ( अनसयया ) निन्दा स रहित प्रीति से সি द ष सवा करना (एक मेव कमं ) यदी एक केम ( समाश्चात्‌ › कन्न की आज्नञा दी है ॐ (5 # 9३. ` ¢ ये मृखलवादे गणं 57 सेवा आदि कम जिस व्यक्ति में क्ट णृ ओर द्रा हे। संस्कार विधे पृष्ठ ९१६




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