रसराज सुन्दर ग्रन्थ की अनुक्रमणिका | Rasraj Sunder Granth ki Anukrmanika

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Rasrajsundar Granth by दत्तराम चौबे - Dattram Chaube

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रसराजसुंदर अधकी अनुक्रमणिका.- श विषय ताम्नमरमयोग, तया. अश्रकमस्मयोग., सुधानिधिरस, अष्रांगलचण- रप्तामृत, चाज्जली, सूतमरुम, राजावत्तो दियोग, '. दु्ष्ि- दाहोतफरस, रसादिपटी, . ' योगांतर, उन्माद. उन्मादगजांकुशरस, भत्ता कुशरस, उन्मादरभ जनोरस, निकघयादिलोद, उन्मादभजनरस, चतुभेजरस, उन्मादपर्पटीरस, प्रयोगोतर. उन्मादध्वंसीरस . उम्मादगजकेशरीरस, पारदयोग, योगांतर, दर जपस्मार. सर्मेश्वर, मृतमेरव, सूतमस्मप्रयोग, प्रह्म्रटी, वातकुलोतक, चातव्याधि, द्विंगूणाख्यरस, यात्तगजांकुश, पुहद्टातगजां कु, मद्दावातग्जांकुद, वातनाशनोरस, यातारिरस, “ भनिलारिर्स, चातकंरकफोरस, लघ्वानंदोरस, चिताप्रणिरस, चतुरमुवोरस, लश्मीविठासरस, पु ् जड़ हद कर बैड 2 ४४४ रे गैड है ४५ नै मैं ै ४४६ मै हक ४७ बैड बडे डन. जीड़ी 22 रद डी ! नै ४ ् दे विषय रोगेमसिंदश्रीखंवटी, पिंदीरत, कुनजविनोद्रस, शीततारिरस, वातविध्वैसन, पठाशारिपिटी, दृशसारवटी, गगनादिवटी. स्यागसुंद्ररस, तालफेश्वररस, चेठोक्यरचिंततामणिरस, स्वच्छंदभेरवरस, चातराक्षसरस, समीरगजकशरीरस, मुतसंजीचनीरस, सूरेप्रभावटी, लपुवातविध्वंतिनी, चातराजवटी, टूसरी वातराजवटी, चन्हिकुमाररस, एकांगपीररस, मेघडेमररस, रामयाणरस, रसादिगुटिका, कंपवाता रिरस. चंपचातह्ारस, गगनगर्भिकावटी, प्रयोगांतर, तथा, द्रदादिवटी, अमरसुंदरीगुटका, अम्तानामगुटिका, मातरेश्ररस, चहुःसुधारस, उसक्रेगुण, सर्ववातारिरस, समीरपश्नगरस, वातगजासिदरस, वृद्धांथितामणिरस, राक्षसरस, यंगेश्वररस, ताठकफादिगुदिका, प्रभावतीगुटिका, कफरोग- केष्मकालानलरस, पु च जे ४ मर है पा श् 39 ६ मे ३७ मर मै है ४५८ ४५९ ४६० पडा ६ पु शेप्मशैलेन्दरस, महा दिप्सकाठानलरस, महालदमीविलास, कंफकेछुरस- पफरचितामणिरस, 'पित्तरोग, गुडच्यादिलों हु, घानी ठो हू, पित्तांतकरस, मदापित्तांतकरस, चातरत, लांगलादिलोड. घातरक्तांतकरस, तालमस्म. महातालेखररस. विशेश्वररस, चिकित्तसांतरकी आशा. ऊरुस्तम, गुंजाभद्ररस, प्रयोगांतर, आमवात, आमवातारिरस, अपरामवातारिरस, आमवातेश्वररस, यद्धदारायलोह, शिवागुगुल्त, आमवातगजर्तिद्मोदूक, 2६ तप्तापतलोइ, प्रिफलालोाइ, चतुःसमछोह, पंचात्मकरस, घाघीलोइ, दूलराजछो द, विद्याघरा्र, वृद्धवियाधरा श्र, सर्वागसुदररस, शूलवाज़िणीर्वटिक्रा, त्िपुरमेरव. अभिमुख, शूलग जकेसरी, निगुणाषर्परस, इलहरणयोग, शकेरालोह, चंखादिचूर्ण, ६८ गैर ९ 8 सयसनमननििसससियययनयमयसयसनससन ्ि ,




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