बापू और मानवता | Bapu Aur Manavta
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18 MB
कुल पष्ठ :
418
श्रेणी :
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No Information available about कमलापति त्रिपाठी शास्त्री - Kamlapati Tripathi Shastri
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आधुनिक विश्व का स्वरूप
आज के विश्व पर जब हम दृष्टिपात करते हैं. तो उसे स्पष्टत दो
विभिन्न स्वरूपों में अभिव्यक्त पाते हैं) उसका एक म्वरूप आशाप्रढ है
तो दूसरा निराशाजनक है । एक ओर हम आदशेवादी, बुद्धिशील,
समुन्नत और प्रकृति को अपनी चरणुसेविका दासी वनानेवाले जगत को
पाते हैं तो दूसरी ओर सकट से आन्छन्न, मनुप्य से उत्पीडित, रक्त से
लिप्त, विपत्ति की मारी विक्षत बसुधा को सामने पढ़ी कराहते देखते हे ।
धरित्री का यह दो विभिन्न ओर विरोधात्मक रूप आज इतना स्पष्ट,
इतना व्यापक और इतना गम्भीर हो गया है कि उसकी अनुभूति यानव-
समाज का प्रव्येक वर्मं, जगत् का प्रत्येक राष्ट्र ओर प्रत्येक व्यक्ति कर
रहा है। एक ओर हम यह देखते हैं क्रि मनुष्य महान् आदर्शों , महती
कल्पनाओं, उत्तम व्यवम्थाओं को जन्म देने मे सफल हुआ । जीवन का
कोई ज्षेत्र चाहे वह माम्कतिक हो अथवा वोडिक, राजनीतिक हो
अथवा सामाजिक, सर्वेत्र हम मनुष्य की उन्मुक्त प्रतिभा को इतनी लम्बी
उड़ान लेते देखते हैं, इतनी दूर तक जाने म समथ पति हु कि उसकी
कल्पना करना भी कठिन हो जाता है। अपने इतिहास के इस युग में
सानव-जाति जीवन के प्रत्येक क्षेत्र मेँ जिस उच्च्चतम विन्दु पर पहुँची
दिखाई देती है वहाँ तक पहुँचने की वात्त भी एक शताब्दी पहले के
मनुष्य ने न सोची रही होगी। उस युग के वीते अभी अधिक समय
नहीं हुआ जब मानव-मसमाज का जीवन रूढ़ियो और परम्पराओ तथा
अन्धश्रद्धा के अन्धकार से ही आच्छन्न था। मनुष्य अन्धविश्वासों का
ऐसा पूजक था कि अपनी अन्त स्थल्षी के गवाक्ष को वंद करके सत्य की
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