मनोरंजन पुस्तकमाला ४७ तर्क शास्त्र दूसरा भाग | Manoranjan Pustakmala 47 Tark Shastra Part 2
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
294
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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द्रिद्र निलेज होता है; निलंज्ञ निस्तेज होता है; निस्तेज
समाज में तिरम्कृत होता है; समाज में तिरस्कृत दुःखी होता
है; दुखी बुद्धि-शुन्य होता है; बुद्धि-शुन्य नाश को प्राप्त होता है;
अतः द्रिद्र नाश को प्राप्त होता है ।
गोल्कीनी ऋूंखला का सांकेतिक उदाहरण यह है--
गघ है
खग है
कख है
.कघ है।
इसी के उपज्ञोग्य और उपजीवक अनुमान इस प्रकार
से है
गष है खचघ है
खग है कख है
..खध है ..क घ है
यदि कोई अपूरण व्याप्तिवाला वाक्य आ सकता है, तो वह
च्वल एक ही वास्य होगा और वह पहला वाक्ष्य हो
सकता है। और यदि कोई निषेधात्मक-
রা छदम वाक्य इष शरंलला मे स्थान पा सकता
है, तो वह अंतिम वाक्य है । निषेधात्मक
वाक्य के लिये और कहीं स्थान नहीं है ।
इस खला का जव হুল उपजीव्य और उपजीवक अलु-
मानों में विच्छेद करते हैं, तो सिवा पहले के 'सब वाक्य
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