मनोरंजन पुस्तकमाला ४७ तर्क शास्त्र दूसरा भाग | Manoranjan Pustakmala 47 Tark Shastra Part 2

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ७ ) द्रिद्र निलेज होता है; निलंज्ञ निस्तेज होता है; निस्तेज समाज में तिरम्कृत होता है; समाज में तिरस्कृत दुःखी होता है; दुखी बुद्धि-शुन्य होता है; बुद्धि-शुन्य नाश को प्राप्त होता है; अतः द्रिद्र नाश को प्राप्त होता है । गोल्कीनी ऋूंखला का सांकेतिक उदाहरण यह है-- गघ है खग है कख है .कघ है। इसी के उपज्ञोग्य और उपजीवक अनुमान इस प्रकार से है गष है खचघ है खग है कख है ..खध है ..क घ है यदि कोई अपूरण व्याप्तिवाला वाक्य आ सकता है, तो वह च्वल एक ही वास्य होगा और वह पहला वाक्ष्य हो सकता है। और यदि कोई निषेधात्मक- রা छदम वाक्य इष शरंलला मे स्थान पा सकता है, तो वह अंतिम वाक्य है । निषेधात्मक वाक्य के लिये और कहीं स्थान नहीं है । इस खला का जव হুল उपजीव्य और उपजीवक अलु- मानों में विच्छेद करते हैं, तो सिवा पहले के 'सब वाक्य




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