हिन्दी गद्य साहित्य | Hindi Gadya Sahitya

Hindi Gadya Sahitya by विभिन्न लेखक - Various Authors

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about विभिन्न लेखक - Various Authors

Add Infomation AboutVarious Authors

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( ११ ) में अंधेरा हो गया | घमासान की मार हो रही थी। बादशाही सेना शाहजादों को दवाये आती थी। अकस्मात्‌ पश्चिम से फिर वुन्देलों की एक लहर उठी और इस चेग से बादशाही सेना की पुश्त पर टकराई कि उसके कदम उखड़ गये | जीता हुआ मैदान हाथ से निकल गया। लोगों को कुतूहल था कि यह देवी सहायता कहां से आई | सरल स्वभाव के लोगों की धारणा थी कि यह फतह के फ़रिशते हैं, शाहजादों की मदद के लिए आये हैं; परन्तु जब राजा चम्पतराय निकट गये तो सारन्धा ने घोड़े से उतर कर उनके पेरों पर सिर क्ुका दिया। राजा को असीम आनन्द हुआ | यह सारन्धा थी । समर-भूमि का दृश्य इस समय अत्यन्त दुःखभय था | थोड़ी देर पहले जहां सजे हुए बीरों के दल थे, वहां अब वेजान হাঁ ব্রন হত খা) सनुप्य से अपने स्वार्थ के लिए नादिं फाल से ही भाइयों की हत्या की है।. अब घिजयी सेना लूट पर टूटी । पहले मे मर्दों से लड़ते थे | बह वीरता और पराक्रम का चित्र था, यह ततीचता और दुबल्तत्ता की ग्लामनिप्रद तस्वीर थी। उस समय मनुष्य पशु येना हुआ था, अब बह पशु: से भी बढ़ गया था। ह इस नोच-खश्ोट में लोगों को बादशाही सेना के सेनापति चलीवबहादुरखां की लाश दिखाई दी। उसके निकट उसका घोड़ा खड़ा हुआ अपनी दुम से मक््लियां उड़ा रहा था। राजा,को घोड़ों का शौक था। देखते ही बह उस पर मोहित हो गया । यह्‌ एराकी जाति का तरति सुन्दर घोड़ा था । एक-एफं




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now