भारत में मुस्लिम शासन का इतिहास | Bharat Mai Muslim Shasan Ka Itihas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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'हिन्दू भारत को प्ररामव एन € करने का संक्दप किया । भोज शीघ्र दी सिन्घ तथा काश्सीर को छोड कर समस्त भारत का सम्राट बन बेठा, श्र कनतौज को उसने झपनी राजधघानी बनाया | यद्यपि वह श्ररवों का कटूर शन्न_ था; फिर भी अरब लेखर्को ने उसकी अश्ववाहिनी के प्रताप की प्रशंसा वही है और लिखा है कि दसका विर्तृत साम्राउय अपराधों से सचंधा मुक्त था । किन्तु दसवों शताददी में भोज के उत्तराधिकारियों के समय में प्रत्तिहारों की सारय-लदसी कीण होने क्लगी । राष्ट्रकूटों ने पुनः उतरी भारत में झपनी विजयिनी तलवार की घाक वैठाई श्रौर इन्द दुतीय ने कुछ कस के लिये कर्नौन्ञ पर भी शधिकार कर लिया । चस्देल, चालुक्य, चेदि झादि छोटी शक्तियों तथा राज्यों ने चिशाल्न प्रतति्दार साम्रास्य को छिन्न-सिर्न कर दिया ! किन्तु साम्राज्य की शक्ति क्ीण दो नाने पर भी गुर्जर-प्रतिहारों ने दुसवी शत के घन्तिम दशक तक सुसक्षमानों को उत्तरी भारत में प्रवेश करने से रोका । १६१ ई० में करनौज के राजा. राज्यपाल ने वीरतापूर्वक जयपाल शाही का साथ ,दिया, किन्तु कुरंम घाटी के युद्ध में की जो परानय हुई, उसमें उसे भी मायीदार बनवा पढ़ा । ३००८ ई० में पेशावर के युद्ध में पुन गुर्जरों ने श्रानन्दु- पाल शाही का पघ लेकर युद्ध किया! किन्तु हिन्दु्नों का तु्कों के चिरुद्ध यह संघ दिम-प्रतिदिन निष्फल होता गया । महमूद ऱाजनवी ने पहले मधुरा फिर कननोल पर अधिकार कर किया । राज्यपाल को सुस्लिस झाक्रमणकारियों 'त्दो चर्देलों के नेतुस्व में संगठित झपने घोन्तरिक शत्र श्री के संघ के चिरुद साथ+ साय युद्ध करना पढ़ा, इसलिये न्त में उसकी पराजय हुई। उसके पुन्न श्रिकोचन- 1ल ने संघर्ष जारी रक्खा श्र कुछ काक के लिये इलाहाबाद में शरण ली याइड्वोलों के श्ञाधिपत्य में एक शताब्दी तक श्र हिन्दु्ों के ही अधिकार में बना रहा । तदुपरान्त उसको सुसकमानों ने हस्तगत किया | ( के ) अजसेर के चौहान--जिस वंश में प्रसिद्ध इथ्वीराज हुधा, वह राजस्थान में स्थित साँभर पर दीघंकात से शासन करता झाया था श्रौर चाहुमालु चलाता था । ऐसा प्रतीत होता है कि श्वाठवीं शताददी में चौहानों ने सिन्घ के झरबों को श्रागे बढ़ने से रोका । इसी वंश के श्रज्यदेव ने ११ चीं शताब्दी में जमेर की स्थापना की । पृथ्वीराज के चाचा दियूहराज ने चौहान राज्य की सीमाओं का शरीर भी झधिक विस्तार क्या | पृथ्वी राज को मुसलमान इतिंहासकारों ने रा पिथोरा लिखा हैं, उसके वी रता पूर्ण कार्यों का रॉजस्थान के लोकप्रिय महा- काव्य “चाँद राइसा' में देदीप्यसान वर्णन है। वननौज के राजा जयचन्द्र की पुत्री संयोगिता को नाटबीय दंग से मगाने की उसकी कहानी का हिस्दुस्तान की सबसे अधिक कोकप्रिय याथाश्रों में स्थान है । उसकी वी रता पूर्ण राजनेतिक सफलता शो में सबसे अधिक प्रसिद्ध दो दे--उसने चन्देल राजा परमर्दी के राज्य पर झाक्रमण क्या च्पर उसे हराया, तदुपरान्त उसने सुदस्मद ग़ोरी वन चौरतापूर्वक प्रतिरोध क्या और ११६१ ई० में तराधोरी के प्रथम युद्ध में उसे परास्त किया बिन्तु झन्तिम पुद् सें उनो रणक्षत्र में प्र्वीराज परास्त हुझा शरीर बन्दी बना लिया ययाः-




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