भारत की एकता का निर्माण | Bharat Ki Ekta Ka Nirman

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Bharat Ki Ekta Ka Nirman by सरदार वल्लभभाई पटेल - Sardar Vallabbhai Patel

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कलकत्ता রর 8 जो कछ प्राप्त किया है, इस तरह वह জন गिर जाएगा। उससे किसी को कोई फायदा नहीं होगा । ॥ तो म॑ आपसे यह कहना चाहत्ता हैँ कि हमारे 'पास तो करने को चहुत काम पड। हूं । अभी हमारा भौर पाकिस्तान का र्दा कंसा है, वह भी भाप जानते हं । कारमीर मे भाज हमारी कंसी हारत है, वह भी मप जानते ह । सर जगह के हारुत मी आप जानते हैं। यह तो ईश्वर की मेहरवानी है किं आप लोगो ने कुछ सभाल लिया। नहीं तो यदि पर्वी और पश्चिमी बंगाल में शक साथ झगड़ा हुआ होता, तो यह फिर से छाखो आदमियो का मामला हो जाता | तो आपको समझना चाहिए कि हम बहुत नाजुक समय में से गुजर रहे है। हिन्दुस्तान की हालत अभी बहुत नाजुक हैं। उस समग्र पर आपको कोई गड़वड नही करनी चाहिए। हा, आपको-अगर कोई शिकायत है, तो उसके लिए घीरज से काम लछीज़िए। जल्दवाजी मेँ वना-वनाया काम न विगाड दीजिए। देशका ध्यान रख कर आप वरदाइत से काम लीजिए। दो सौ सारू तक परदेशियो की गुलामी की। अब अपने लोग जाए, तो दो-चार महीनो मे इन रोगो ने इतना क्या विगाड़ दिया ?. इस तरह से क्यो काम करते हो ? इस तरह तो हमारा काम नही चलेगा । मेने आपसे जो कुछ कहा, उसके बारे में में आपको मिसाल देना चाहता हूँ | चन्द रोज हुए, मध्यस्थ सरकार के हमारे इण्डस्ट्री ( उद्योग ) के मिनिस्टर ने एक कान्फरेंस बुलाई थी। उसमे देश भर से केवर (श्रम) के भिनिस्टरो ओर प्रतिनिधियोको वृलाया था, साथ ही उदयोगपतियो को भी वृक्ताया था) इस कान्फरेस मे इस वात पर विचार किया गयां किं उद्चीगपतियो को क्या करना चाहिए तथा लेवर को क्या करना चाहिए । बहुत सोच-विचार के वाद सव ने मिलकर फँसला किया कि हमें तीन सार तक के लिए एक ट्रस ( सन्धि ) करना चाहिए । दोनो ते कबूल किया कि तीन साल तक हम हडताल नही करेंगे। अब यह फैसला करने के वाद सब लोग घर चले गए। दो दिन के बाद लेवर के प्रतिनिधि वम्बई में पहुचे यौर वहाँ उन्होने रेज़ोल्यूशन ( प्रस्ताव ) पास किया कि वम्बई में एक रोज की हड़ताल की जाए। इस तरह दूसरे ही दिन उन्होंने अपना वायदा त्तोड दिया। अब इससे क्‍या फायदा हुआ ? थे शायद समझते हूँ कि ऐसा करने से वे सिद्ध कर देंगे कि वही मजदूरो के प्रति- निधि है । मगर ऐसा करने से यह सिद्ध कहाँ होता है ? एक रोज छट्टी मिले




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