भूदान से ग्रामदान | Bhoodan Se Gramdan
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
725 KB
कुल पष्ठ :
28
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)~ १७ -
स्तर पर खोग सीधे पक्शनः नहीं कस्ते, वस्कि कार्म कै सचाल्न कै लिए
अपने प्रतिनिधि चुनते हैं | इस पद्धति में यह दोप है कि जनता निष्किय
हो जाती है, प्रतिनिधियों को चुनकर वह अपने काम को खतम हुआ
समझती है | फिर जनता की खुद की प्रत्यक्ष भलाईं के कामो में मी उसे
सक्रिय करने के लिए, ऊपर से कोशिश करनी पड़ती है। सत्ता का दुरु-
पयोग भी तो होता ही है। पर जवर तक व्यवस्था केन्द्रित द, तव तक
प्रतिनिधियों के जरिये उसका संचालन ल्यजिमी हो जाता है। गॉ्बों में
यह जरूरी नहीं है, इसलिए, यह दोष ठाछा जा सकता है।
अतः गोव कै सारे कामो कै सचालन की जिम्मेदारी गोव कै १६ वर्ष
से ऊपर उम्रवाले सारे स्त्री-पुरुषों की सम्मिलित भाम-समा पर होनी
चाहिए । जब कभी कोई नया मसला सामने आये या गॉव के काम के
बारे में कोई नया फैसछा करना हो, तो ग्राम-सभा मिले | आम-समभा का
एक आमन्रक या संयोजक हो, जो समा बुलाने का काम करे | कार्मो की
जिम्मेदारी उन उन कामों के लिए. बनायी हुई अस्थायी समितियों
(0 6110९ (:0णग1(९९७) को सौपी जा सकती है। पर अमुक
निश्चित अवधि तक ग्रामसमा की ओर से गोव का काम चलाने के लिए,
पचायत या कार्य-समिति नियुक्त करना उचित नहीं होगा । आम-सभा
के या कासो के संचालन के बारे में आवश्यक नियम चगेरह ग्रामसभा ही
बनाये | गाँव के झगडों का फैसला ग्राम-सभा में हो, किसी मामले से
आवश्यक समझे, तो आम-समा पच मुकरर कर दे |
खेती, उद्योग या व्यापास्सख्वन्धी आर्थिक कामो के लिए
जावस्यकतानुततार सहकारी समिति वनायी जा सकती दै, पर जो तक छो
सके, गाँवों में सस्थाओं की वहुलता नहीं होनी चाहिए ]
काम की कठिनाइयाँ
__ आमदान के बाद के काम में कुछ कठिनाइयों महसूस हुई है। इन
कॉठनाइयों का कारण या तो कार्यकर्ताओं की अपनी कमी रही है या
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