वे बेचारे | Ve Bechare
श्रेणी : उपन्यास / Upnyas-Novel
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
198
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about फ. मि. दोस्तोयेव्स्की - F. Mi. Doestovsky
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)करते हो, लेकिन तुम रईस तो नहीं ही हो न ! भ्राज सवेरे सोकर
उठी तो तबीयत बडी उमंग में रहो*“मन खुशी से खिला रहा“ फेदोरा
बहुत देर तक काम पर रही है, भौर मेरे लिये भी काम ले आई है ।
मजा श्रा गया: “मैं फ़ोरन जाकर थोड़ी-सी सिल्क खरीद लाई-.-प्रीर
फिर लौटकर काम पर बैठ गई ““सारी सुबह मन फूल-सा हल्का रहा“
रह-रहकर मुस्कराता रहा“लेकिन इस, समय फिर मन पर बोझ भरा
गया है, भौर चारों श्लोर से उदासी घिरो श्रा रही है।
प्राखिर मेरा क्या होगा ? भविष्य के गर्भ में मेरे लिए क्या है ?
परनिक्चय. की परिस्थिति मे जीना किसी तरह की कोई सम्भावना ध
न देखना, और भविष्य की दूर-दूर तक कोई कल्पना न कर पाना, सचमुच
कितना दुखदाई है! औौर, अतीत की वात करो, तो वह भी इतना
-भृयानक रहा है कि सोचने-मात्र से कलेजा दूक-दूक होने लगता है। कुछ
बदमाश लोगों. ने जिस तरह मेरी जिन्दगी वरवाद कर दी है, उसके
कारश लगता है कि जिन्दगी केभ्राखिरी दिन तकर््रास बहाने पड़े गे ।
लेकिन, श्रेपेरा बढ़ रहा है भौर श्रव मुझे काम लेकर बैठ जाना
'चाहिये ।***मै तो जाने कितना लिखती, मगर समय जो नहीं है । काम
जरूरी है, श्रौर जल्दी करना है 1 ष लिखना वैसे बुरा नहीं है, श्रादमी
को प्रकेलापन महसुस नहीं होता“ लेकिन, तुम कभी यहाँ श्राते क्यों
` नही ? सचमुच यहाँ श्रात्रे क्यों वहीं, मकार-प्रलेक्सेयेविच जगह दूर
नही है,, और समय भी निकाला ही जा सकता है । देखो, जरूर श्राश्रो
यहां किसी-न-किसी दिन ।
` र्हा तुम्हारी तेरेजा से श्रभीःश्रभी भेटं हुई थी । लडकी इतनी वौमार
. लगीं कि मुभे बहत. ही तकलीफ़ हुई श्रौर मैंने उसे बीस कोपेक दे दिया ।
এ श्र हाँ, मैं तो भूल ही गई““तुम मुझे विस्तार -में लिखो कि तुम
कैसे समय काटतं हो, किस वरंह जीते हो; तुम्हारे साथ- रहनेंवाले कैसे हैं,
श्रौर तुम्हारी उनसे कैसी बनती हैं ? मैं-सभी कुछ जानना चाहती हूँ।
वे बेचा रे“ /१३
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