भीम विलास | Bhim Vilas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
372
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भूमिका { १५
कर्नल टॉड से सम्पर्क
तत्कालीन ब्रिटिश धरकार की ओर से गवर्नर जनरल लाड हैस्टिग्ज द्वारा राज-
स्थान की परिस्थितियों से परिचित होने के कारण নল উজ ভাত কী দি
1875 (1818 ई.) में मेवाड़ का पोलिटिकल एजेन्ट नियुक्त क्रिया गया। टॉड को
राजपूतों के इतिहास से बहुत लगाव था | वह प्रतिदिन के अपने प्रशासलिक कार्यों के
झ्तिरिक्त राजस्थान के राजपूतों को इतिहास विषयक सामग्री को भी संकलित करने
लगा | किसना आढ़ा महाराणा भीमसिंह का कृपानपात्र, इतिहासप्रेमी एवं कवि होने .
के कारण शीघ्र ही कर्नल जेम्स टॉड के सम्पक्क में आ गया और उसके साथ उसके
मधुर सम्बन्ध हो गये । टॉड लगभग साढ़े चार वर्ष श्रर्थात् वि. सं. 1879 (जून,,
1822 ई.) तक मेवाड़ में रहा और इस दौरान उसने अ्रपनी पुस्तक “एनल्स एण्ड
एण्टिक्विटिज श्रॉफ राजस्थान के लिये सामग्री एकन्रित की, उसमें किसना आढ़ा ने टॉड
का भरपूर सहयोग किया। सामग्री संग्रह के अ्रतिरिक्त उसने एकत्रित सामग्री की
व्याख्या करने, समाने एवं नोट्स लेने में भी टॉड की काफी सदद की । संयोग से
वि. सं, 1879 में ही किसना ने भोम विलास' काव्य ग्रंथ की रचना की । इसके
नर्माणु और विषय्र-वस्तु चयन में भी इस सामग्री संकलन कार्य से किसना को बहुत
लाभ हुआ
सिसोदा गांव महाराणा ने अपने सलाहकारों की सलाह के विरुद्ध किसना को
भेंट में दिया था, अत: किसना को यह भय बना रहता था कि कहीं इत गांव को
वापस नहीं ले लिया जाय, इस इष्टि से टॉड से उसने सिसोदा का पक्का पढ़्टा करवा
लिया । टठॉड ने महाराणा को इस सन्दर्भ में यह भी कहा कि ऐसे विद्वान और प्रतिभा-
शाली व्यक्ति को तो सिसोदा से भी अधिक श्राय कौ जागीर देनी चाहिये ।!
जवार्तातह का काव्य-सुरु
किसना झाढ़ा इतिहासप्रेमी ही नहीं, संस्कृत, प्राकृत, अपश्ञश, डिगल और -
पिगल भाषाम्रों का श्रच्छा ज्ञाता भी था। लक्षण ग्रंथों (छन्द शास्त्र) का भी वह .
पारंगत विदान था। उस समय के बुद्धिजीबियों में किसना की गणना होती थी
किसना की इस विद्वता को देखकर महाराणा भीमसिंह ने अपने पुत्र कुबर जवानभिह
की शिक्षा-दीक्षा किसना के मार्ग-दर्शन में कराई और लक्षण काव्य का ज्ञान स्वयं
किसना द्वारा कराने कां आदेश दिया। इस. समय किसना भी अपने पुत्र মজা.
1. डॉड से सिसोदा का अलग से और पद्टा कब करवाया और वह॒ पट्टा श्रव
कहां है, इस वारे मेँ जानकारी नहीं मिलती । इसकी प्रामाणिकता के वारे मेँ शोध
करने की प्रावश्यकता है | किसना के वंशजों का कहना है कि यह पट्टा मिला
था और जागीरों के हल्तान्तरण के समय वह कहीं खो गया।
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