प्राचीन राजस्थानी गीत | Pracheen Rajasthani Geet
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
132
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्राचीन रातम्थानी गीत
आअर्ग:-आशा फवि, कहता है कि सेरा मन उस माधव में ला
लगा है, जिसे मघुसूदन, मुरारी, नारायण, शमिह, दामोदर और दाता
कहते हैं. ।
(जिसे ) सत्यमामा और रमा का प्रेमी शिव एवं अह्याका
स्थासी, सीता और रव्मिणी का पति, शोवल्लभ पुकारते हैं.।
( जिसे ) एथ्वी फो दाद़ों पर रखने चला, कर्य में शंख, चक्र
और पद्म धारण करने बाला, शेप एवं जलशायी, जगन्नाथ-+
लंका घिजयी, नर्दों प्रहां को सुक्त कराने बाला, काली नाग का
नायते वाला, रावण फे दसो मस्तक काटने वाला, श्रीपति और श्रीराम
कहते हैं. ।
( जिसे ) केशब, झृप्ण, कल्याण स्वतप, कसारि, ऋपालु, उद्धार
कनी, वामन, विपु, विदल मनमाली कदते ह 1
( जिसे ) श्याम, द्म, पीताम्बरधारी, सर्प को नथने बाते,
अदूभुत बलशाली और हएशथ्वी तथः थआाकाश का आश्रय कद कर लोग
पुफारते हैं.
रचयिता--ईशरबरदास बारहट'
| मभीत ४ শো
बढ़ पाखे वेद न कीज़, कीबो जिम ग़मय कौजें।
ब६ नामी प्से दीसे, रे लझ्गद किएद्दी न लीमे ॥१॥
१-+ ये ऐड्डिश शाक्षा के पररु हरि परम सक्त हो इक हैं। थे प्ले माजाई
पीकददं परे गह रहे। हक रब पन्दः--*दृ्िमिए ( होशा-
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