एक सपना | Ek Sapna
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
86
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
प्रेमचंद का जन्म ३१ जुलाई १८८० को वाराणसी जिले (उत्तर प्रदेश) के लमही गाँव में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम आनन्दी देवी तथा पिता का नाम मुंशी अजायबराय था जो लमही में डाकमुंशी थे। प्रेमचंद की आरंभिक शिक्षा फ़ारसी में हुई। सात वर्ष की अवस्था में उनकी माता तथा चौदह वर्ष की अवस्था में उनके पिता का देहान्त हो गया जिसके कारण उनका प्रारंभिक जीवन संघर्षमय रहा। उनकी बचपन से ही पढ़ने में बहुत रुचि थी। १३ साल की उम्र में ही उन्होंने तिलिस्म-ए-होशरुबा पढ़ लिया और उन्होंने उर्दू के मशहूर रचनाकार रतननाथ 'शरसार', मिर्ज़ा हादी रुस्वा और मौलाना शरर के उपन्यासों से परिचय प्राप्त कर लिया। उनक
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उन्ही दिनो पिताने शादी करवा दी । निश्चय
ही, इसमे सौतेली मा की भी राय रही होगी। जो
लडकी धनपत के लिए चुनी गयी थी वह धनपत को
कभी पसद नही आईं ।
पुत्र के पांवो मे 'अष्धघात की बेडिया डालकर
मुशी अजायबलाल ने हमेशा के लिए आखें मूद ली ।
परिवार पर मुसीबतो का पहाड़ टूट पडा ।
अपनी इन दिनो की दशा का वर्णन प्रेमचद ने
“जीवन-सार ” में किया है :
“पाव मे जूते न थे, देह पर साबुत कपड़े न थे ।
महगी अलूग थी । रुपये मे २० सेर के जौ थे। स्कर
से साढे तीन बजे छुट्टी मिलती थी। काशी के क्वीन्स्
कारेज मे पठता था । हिड-मास्टर ने फीस माफ कर दी
धी । इम्तहान त्तिर पर था और मे बांस-फाटक, एक
लडके को पढाने जाता था। जाडो के दिन थे। चर
बजे पहुचता था। पढाकर छ बजे छुट्टी पाता। वहां
से मेरा घर देहात मे पांच मील पर था। तेज चलने
অহী সাত बजे से पहले घर न पहुच पाता। प्रात
काल आठ हो बजे फिर घर से चलना पडता धा, कभी
वक्त पर स्कूल न पहुचता। रात को खाना खाकर
वुप्पी के सामने पठने दैवता भौरन जाने कब सो
ज्यता । फिर भी हिम्मत वाघे रहता 1”
गरीबी । पिता की मृत्यु । खर्चे में बढती । असा-
मान्य परिश्रम । कुृप्पी के सामने बैठकर रात को
पढ़ाई...
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