बात का बतंगड़ | Baat Ka Batangad
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
610
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बात का वतड़ुड़ ४
हौडियस--लियेजनेटो ! (देखो यह में खड़ा हूँ। चह राजा.
हैं! यह उनके भाई हैं! ग्रौर यह हीरो का मुँह ই?
लियोनेटो--यह ते। सब कुछ है, फिर कया ?
छौडियस--मैं आपकी लड़की से एक वात पूछता हैँ। आप
इसका ठीक-ठीक उत्तर इनसे दिला दीजिए |
लियोनेटो---वेदी |! सच-सच कह दे।
हीरो--इश्वर मेरी रक्षा करे ! किस प्रकार का प्रश्न है ?
कीडियस---पअ्पसने माम को धब्बे से बचाओ। !
हीरो--सेरे नाम पर कान घव्चा लगा सकता है ?
छौडियस--हीरे दी हीरो के नाम पर धव्बा लगा सकती है।
ह कान आदमी था जिससे ठुम कल रात बारह श्र
एक बजे के भीतर खिड़की मे द्वोकर बातें कर रही थी ९
अगर तुम सती हो ते ठीक-ठीक बताओ !
दीरो--उस समय भै किसी से वात नहीं करती थी।
पीडरा--फिर ता तुम सती नही हो। । लियोनेटो, सुने ! मैंने,
मेरे भाई ने, श्रार इस मेरे दुखिया सित्र ने इसका एक
झादसी के साथ बातें करते देखा ओर सुना, श्रीर उस
दुष्ट ने निलेज्ज होकर साफ-प्ताफ कद्द दिया कि सहस्तों
बार हमसे वातचीत हुई है।
जान--घिक्! धिफू! घिकू! महाशय! रहने दीजिए ! चे वाते
कहने योग्य नहीं हैं। हीरो! मुझे झ्रापक इस अ्रसतीत्व
पर शोक रै!
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