रचना विधि | Rachna Vidhi

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Rachna Vidhi by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कहानी-लेखन & ( १४) एक आदमी की यह बान थी कि चह सभी बातो में कुछ न कुछ भलाई देखा करता थधा। एक दिन ऐसा हुआ कि उसकी शॉग पर से एक गाडी निकल गई, ओर अत म डावंटरों कौ सलाह से उसकी बह धॉग काट दो गई । जब उसके मित्रो ने यह बात छुनी, तव थे उससे सहालु- भूति प्रकट करने आये। इसके उत्तर मे उसने कहा-भाई, इससे दुखी होने की कौन वात है। अव भन्रिष्य में मुझे एक ही जूता खरीदना पडेगा, ओर इस तरह मेगा कम खच होगा । ( ६५) किखी देहाती ने शहर की सडका पर पानी छिडकनेसाली गाडी देखी । उसे दखते ही वह ठठाऊग हँस पडा। इस पर उसके एक शहरणती मिन्न ने पृछा-क्यो भाई क्रिस बात पर एसे ? देशाती ने एसते हँसते उत्तर दिया-भाई में तो लमभता था कि देहातनाले ही बडे मूर्ख होते हैं। परन्तु शहर्बाले उनसे थी घाजी मार ले यण । भला चताओो तो च्छि इस फटी गाड़ी में पानी लेकर चलना फहाँ फी वुद्धिमानी है! यह पानी तो सब रास्ते में ही गिर जायगा । नतोट--इसी प्रकार ध्षध्पाएक জন্য कट्टानियाँ क्षपनी भोर से दद् सकते हैं ।




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