प्राचीन भक्त कवि भजन संग्रह - धर्मामृत | Prachin Bhakt Kavi Bhajan Sangrah -Dharma Mrit

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Prachin Bhakt Kavi Bhajan Sangrah -Dharma Mrit by बेचरदास जीवराज पंडित - Bechardas Jeevraj Pandit

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about बेचरदास जीवराज पंडित - Bechardas Jeevraj Pandit

Add Infomation AboutBechardas Jeevraj Pandit

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
विशेष स्मरण आज से प्रायः सात आठ वषे पहले जब कि श्रीमान्‌ पुरुषोत्तमदास टंडनजी गुजरात विद्यापीठ में आए थे तब मुझको उनका परिचय प्राप्त करने का अवसर मिला था। यों तो श्रोसान्‌ टंडनजी प्रखर रष्टरपुरुष है ओर यू° पी० के राषटस्तंमो में उनकी अग्रगणना है, तो भी राष्ट्रभक्ति के साथ साथ उन्होंने साहिल- भक्ति को भी अच्छ स्थान अपने हृदय में दिया है यह वात मुझको उनके प्रथम परिचय से ही अवगत हो गई थी । हमारी वातचीत का विषय प्राकृत साहित्य और जैन आगम था, मात्र पंद्रह-बीस मिनिट तक की वातचीत से उनके साहित्यभक्ति, अभ्यासगांसी ये और असाधारण साधुता आदि कई सद्गुणों का प्रभाव आजतक मेरे मन में अकिति है | जब प्रस्तुत কলহ ভব कर तैयार हुआ तब मेरा विचार हुआ कि इसके लिए दो शब्द भी भ्रीटंडनजी से अवश्य लिखवाना । में जानता था कि आप आजकल राष्ट्रीय महाससा की ओर से लखनऊ की राजसभा के संचालक--स्पीकर--के बडे पद पर काये करते हैं इससे अनेक পি के न तरह के कार्यभार से दवे हुए होगे तव सी मेने तो शष्ट टोक्र




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now