राजर्षि | Rajarshi

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Rajarshi  by सरयूप्रसाद पाण्डेय - Sarayuprasad Pandey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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# भीगरोशाय नम; # राजार्षे লস, ¢ पहला सग-अतीत-गौरव ০১০০ विमा, वीणापारि, कृपा कर विश्व-विहारिणि; आ रसना पर बैठ दयामयि, भव-भय-हारिणि | हृत्तत्री के तार जरा तू भंकृत कर दे, निकले मघुमय राग भाव नूतनतर भर दे। काव्यागरत वह चले मगन उसमे संसति हो, मेगलमय राजर्षिः हमारा त्थ से इति হী। अजरामर प्रत्येक वणं हो बोघ गम्य हो, माव रुचिर हो जननि, सुखद हो, ओर रम्य हो । ৯৮ >€ ১




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