काश्मीर कुसुम | Kashmir Kusum

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Kashmir Kusum by भारतेन्दु हरिश्चंद्र - Bharatendu Harishchandra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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| ७ । ने गान्धार देश के स्वयम्बर में मारा ओर उस की सगर्भा रानी का राज्य पर वेठाया। उस समय श्रीकृष्ण ने कश्मीर की महिमा में एक पुराण का श्लोक कदा । (१ त० ३२ श्लोक, यी प्रकरण इस बात का प्रमाण है कि कश्मीर का राज्य बहुत दिन से प्रतिष्ठित है।इस रानी के पुत्र का नाम द्वितीय गोनरे हुआ जो महाभारत के युद्ध मे मारा गया । इसी से स्पष्ट दे कि पूर्बोक्त तीनों राजा जवानी ही मे मरे, कयाकि पकर पांडवो के कालम तीनो का वरन आया द्वे। इन लोगों के अनेक काल पीछे अशोक राजा जैनी इुआ | इसो ने श्रीनगर बसाया । इस के पीछे जलोकराजा प्रतापी हृश्रा जिस ने कान्यकुष्जादि देश जाता । यद्द शैव था। (भारतवर्ष मे मूर्तिपूजा श्रौर शेव वेष्णवादि मत वहत दी थोडे काल से चल है यद कददने वाले मद्दात्मागण इस प्रसंग को आंख खोल कर पढ़ें १(१ त० ११३ श्लो० ) फिर इृष्क जुषक ओर कानिष्क ये तीन रथ चारु जराऊ सोहतों रूप सबन मन मोहतो, कश्मीर भूप भरि रिसि लसी मथुरापुर दिसि जोहतो ॥ ( ६ सर्ग २५ छन्द्‌ ) &प्य--मद्रक सुम्भक' पनस रकिपुरुस ললমন কনক, सोमदत्त वाल्हीक भूरि सह भूरिखवा सल । युधामन्यु गोनदै श्रनामय पुनि « उतमौजा, चेकितान श्रं ङ्ग वद्र कालिब् महौजा। नृपवृहत द केसिक म॒हित श्राहुति सित शुश्राल सव चदि ले द्वार पिम জন, আসি বানি ইন ভন || (१० सगं ११ छन्द ) कमिकः नृप अति विक्रमवन्त, ्रसिरदन सगाभिस्यो तुरन्त । धरम बद्ध गोनद मर्हीप, करन लगे रथ जोरि समीप । हाय हन्द््‌-तह्‌ काश्मीरी भृपिपति गनद धट কোটি ক ।




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