हिंदुस्तान की कहानी | Hindusthan Ki Khani
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18 MB
कुल पष्ठ :
434
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हृद्य-मंथन ९
हुवा है--इस खूप मं कि उसकी इतिहास मे कोई मिसाट नहीं । वह् फिर जवान
हो गए हैं, और उनमें एक अद्भुत शक्ति और स्फूर्ति जा गई है ! वह् यपनी कद्ध.
पुरानी जड़ों को खोजने छगे हैँ, छेकिन व्यवहार की दृष्टि से वह नए छोग हैं और
उनकी एक नई क़ौम और नई तहजीव है ।
रूस की मिसारू यह दिखाती है कि अगर कोई क़ौम प्रा-पूरा मूल्य चुकाने
के लिए और जनता की दवी हुईं शक्ति को उकसाने के लिए तैयार हो, तो वह किस
तरह फिर से अपने में नई शक्ति पैदा कर सकती है।
चीनी छोग इन सबसे अछूग हैं। उनकी कोई नई क्रीम नहीं, न उन्हें ऊपर से
लेकर नीचे तक परिवर्तन का वक्का सहना पड़ा है। यह सही है कि सात साल
की खूंखार लड़ाई ने उन्हें वदल दिया है। कहां तक यह इस युद्ध का नतीजा है
या दूसरे स्थायी कारणों काया दोनों का मिला-जुला हुआ, में नहीं जानता।
डेकित चीनी छोगों की जीवनी-शक्ति मुझे आइचय्य में डाल देती है। में इस
बात की कल्पना नहीं कर सकता कि कोई राष्ट्र, जिसकी नींव इतनी दृढ़ हो, मर
सकता है।
जो जीवनी-शक्ति मेने चीन में देखी बसी ही कुछ मेने कभी-कभी हिंदुस्तान के
लोगों में महसूस की है । ऐसा हमेशा नहीं हुआ हैं; और हर हालत में मेरे लिए तटस्थ
होकर विचार करना मुदिकल है। शायद मेरी इच्छाएं मेरे विचारों को टेड़ा-मेढ़ा
रूप दे देती हैँ, लेकिन हिंदुस्तान के लोगों के बीच घृमते-फिरते हुए, में वरावर इस
चीज़ की तलाश म॑ रहा हूँ। अगर हिदुस्तानियों में यह जीवनी-शक्ति है, तो उनका
कुछ नहीं विगड़ा है; वह अपना काम पूरा करके रहेंगे। अगर उनमें इसकी कमी है
तो हमारे सारे राजनीतिक प्रयत्त और हंगामे केवल अपने को भुलावे में डालनेवाली
वस्तुएं हैं, और यह हमें बहुत दूर न ले जा सकेंगी। मेरी रुचि इस वात में नहीं है
कि हम कोई ऐसी राजनीतिक व्यवस्था पैदा करें जिससे कि हमलोग अपना काम
कमो-वेदा पहले जंसा, केव कृ अधिक अच्छी तरट् चला सके ! मेने अनुभव किया
है कि हमारे लोगों में एक दवी हुई शक्ति और योग्यता का बड़ा भंडार है और में
चाहता हूँ कि यह खुल जावे और हिंदुस्तानी अपने में नए जोश और नई फुर्ती का
अनुभव करें। हिंदुस्तान ऐसा देश हैँ कि वह दुनिया में दूसरे दर्जे का काम
नहीं कर सकता। या तो वह वहुत बड़ा काम करेगा या उसकी कोई पूछ न
होगी।
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