बापु रेड्डी - गद्य काव्य | Bhapureddy Grandhkavya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
64
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आँखे खोल देखने तक
गोचर हुआ एक करुणामय
कोदंड-किरीट नहीं सो रामचन्द्र ही
करोड़ों आँसू भेदित सोमराज-
आशा किरण मेरे आँखों में स्थापित
इस लोक से अंधेरों को दूसरी बार दूर करके
मुझमें नव जीवन के वीणानाद पल्लवित्त कर
मुञ्चे इस लोक पर फिर से विश्वास दिकराया-
गग 2०
अभयदान
स्वप्न, सुगंध सुशोभित
कश्मीर देश है क्या !
एसी रमणी के अधघरों पर
प्रकाशमान दरहास है क्या
तेरे नाभ सुनत्ते ही मुझमें
निर्मल तुषार-कोहरा बरसती है
तेरे रूप स्मरण करत्ते ही मुझ में
निर्घोष कुसूमहार प्रज्वलित होती दै-
दानवता হাজলী को तुम
हिम्मत न हारना कह कर
संकुचित द्वेषाध्नियों को तुम
समिद न हो जाना कहे
मनृष्य - लोक पक्ष से
भारत मात्ता के समक्ष में
बोल रहा हु-बार - बार-
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