हिंदी के आंचलिक उपन्यासों का रचना - विधान | Hindi Ke Anchalik Upnyaso Ka Rachana Vidhan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : हिंदी के आंचलिक उपन्यासों का रचना - विधान  - Hindi Ke Anchalik Upnyaso Ka Rachana Vidhan

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about शुभा मटियानी - Shubha Matiyani

Add Infomation AboutShubha Matiyani

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
आंचलिकता की अवधारणा का विकास (क) उपन्यास की अवधारणा प्राणी से मनुष्य बनने के क्रम में चेतना, भाषा और श्रम का ही निर्णायक महत्त्व है। प्रतीक-स्रष्टा प्राणी ही मनुष्य है। प्रतीकन की यही प्रक्रिया इन्द्रिययोध, विचारबोध और भावबोध को विभिन्‍न रूपों में रूपायित और परिष्कृत करती तथा स्वतः समृद्ध होती हुई अभिव्यक्ति के विभिन्‍न रूपों को जन्म देती है। कम और वाणी दोनों ही उन्हें अव- धारित, प्रतीकित ओौर अभिव्यक्त करते हैं। साहित्य की अनेकानेक विधायें भी इसी प्रक्रिया की सामाजिक निष्पत्तियां हैं। उपन्यास (विधा) का नियम भी यही है। ` सामाजिक प्राणी होने से अपने अनुभव, भावसंवेदनों अथवा विचारों को दूसरों . तक अधिकतम आकर्षक, हृदयस्पर्शी तथा सुन्दर ढंग से सम्प्रेषित करने की हर व्यक्तिमें एक स्वाभाविक इच्छा होती है। सारी ललित कलाओं के आविष्कार की कहानी यही है। उपन्यास अनुभव, भावसंवेदन तथा विचार को अधिकतम आकषेक तथा प्रभावी ढंग से कह सकने की उस कथा-परम्परा का ही एक सर्वाधिक विकसित रूप है, जिसका ` प्रारम्भ हमें दंत-कथाओं से लेकर लोक-कथाओं तक में मिलता है । ई० एम० फोस्टंर के अनुसार--“कहानी अत्यधिक पुरातन क ला है, जो नवपाषाण, बल्कि सम्भवतः पुरा- पाषाण युग से चली आ रही है। नीडरवाल मानव की खोपड़ी के आकार से अनुमान लगाया जा सकता है कि वह भी कहानी सुनता था। आदिकालीन श्रोतागण मेमथ अथवा बालदार गैंडे से लड़ाई कर थके हुए उलझे बालों वाले व्यक्ति होते थे, जो शिविर-अग्नि के पास मंह उघाड़े हुए केवल कुतृहलवश आंखें फाड़े बैठे रहते थे, आगे क्या होगा।/1 कहा जा सकता है कि संघर्ष के बाद के रिक्त तथा शांत समय को व्यतीत करने की व्याकुलता ने ही आदमी को विभिन्‍न कला माध्यमों के आविष्कार की दिशा दी होगी । भाषा की उत्पत्ति में भी अभिव्यक्ति के दबावों की ही मुख्य भूमिका रही है। मनुष्य के संवेदनतंत्र की बनावट ही ऐसी है कि उसमें हर अनुभव एक हलचल' उत्पन्न केरता है । उपन्यास मनुष्य की हलचलों की अभिव्यक्ति का अगर अज सर्वाधिक सक्षम




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now