बयार पुरवइया | Bayar Purwaiya

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Bayar Purwaiya by भोलानाथ 'गहमरी '-Bholanath 'Gahmari'

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हूल वगिया बवरिया हो नाही रंहे आजु मना के पनकछ्की हो नाहीं चहके जियरा लागे नाद्यौ मोर, नेहियाँ पाये बिन तोर, जड़्ते वाजे बिनु तार ना सितार, सखिया £ কলইও हँसि उठेला बिपतिया क आन्ही आ तुफान मन ভননগ डोले, आजु डोलेला परान केह होला ना हार, मीले नाही खेवनहार, नइ्या बंदे जहसे बिचु प्रतशर, सबिया / शतही० गरेवा = गली । कती = कदी । अयरिय = पवन्‌ । आच्ही >-आाँवी । परात >जाण । केह-कोई ।




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