हिन्दी और तेलुगू कहावतों का तुलनात्मक अध्ययन | Hindi Aur Telugu Kahavaton Ka Tulnatmak Adhayayn

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Hindi Aur Telugu Kahavaton Ka Tulnatmak Adhayayn  by एन. एस. दक्षिणामूर्ति - N. S. Dakshina Murti

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ঘলানুল কী परियावा ই कभो अनेक अकार के त्वोन्‍जाल बिछाने और युक्ियों से सहायता सेमे पर भी ফিল उपस्यित संदेह का समाधान नहीं हो पाता है, तब प्रसंगा- কাত बाबत का प्धोच करते से बहु सदेह दूर हो जाता है और संदेह करतेवाले विता किसी एक -दितकं के उत बतत को मान जाते हैं सानो ছার एक ष्टु হও राय है, प्रमाण है, सब फुछ है । থু আধা का अन्दिध निर्णय है जहाँ अपील के लिए गुंजाइश नहीं । यही कारण है कि छूछ भाषाओं में कहावतें ही चल पड़ी हैं-- “ चाहे वेद भी হত हो जायें, प९ कहावत झूठ नहीं होती । “” ० कहावतों का यहू क्लिक्षण प्रभाव है । उनकी अयार महावता है, गरिमा है। उनका पृथक-लोक है। प्रायः कहावतें सृत्रचत्‌ छोटे-छोटे वाकयों में होती हैं ।॥ (कहीं कहीं इसके अपबाद भी हैं।) गागर में सागर या बिन्दु में सिन्धु भरने का अनुपम गुण कहावतों में है । व्यापक समस्याएँ, गंभीर-प्रघन्नत और जदिल विषय सुत्रवत्‌ छोटे, नुकीले और घटपटे दावय बन कर कहावतों के रूप में प्रचलित होते है। किसी भी देश या समाज में प्रचलित कहावतों के आधार पर उस बेश या समाज की रुचि-अरुचि, सम्यता-संस्कृति आदि ० वेद सुल्ुकछादर गादे सुछकादीते ” (कन्नड) # 2104619 ००८३ 806 06]1 8115 (65009012000, 2; 010৮9100655 1155. (061020) ' 10१03 0१0 701 156, (0 059827) , व एलाह 476 10 एषह ए] वक 1हिऽ 016) হত 006 0006, (0० (21०१८). [1 0616 193 3 छिज्ाए वा 8 ए70एलफ ल्य ঘ0100 ০8002 507. (2121242 272) .




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