स्वनामधन्य पं. अम्बिकादत्त व्यास: व्यक्तित्व एवं कृतित्व | Swanamdhanya Pt. Ambikadatt Vyas Vyaktittva evam Kritittva
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
212
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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सुप्रस्तिद्ध अलंकार शास्त्री एवं सुप्रतिष्ठ दार्मनिक्त विद्वान् डा- ब्रह्मानन्द
शर्म ने1 स्रत सापामाच्यम से लिव “सिवरायदिजये घर्मस्य दरोनप्यच
सक्निदेघ- शौक शोघलेव मे डा. यर्म ने उप क्त दोनों तत्वों धर्म एवं
दर्शन के झनुप्तार शिवराजविजय का मूल्यांकन কিতা ই? ন কবল
राजस्पान प्रान्त में पितु, मस्त मारत भूमण्डल में काव्य - नत्यालोन
सिद्धान्त के प्रतिप्ठापक সঘাত অত को कःच्ये कौ भामा स्वीकार कसे
के पप्तघर, वैदिक, साहित्यधास्व एवं भारतोय दर्शन के गम्मोर दिवेदर
डा शर्मा का व्यक्तित्व यपानामस्तथायुघः है
के झनुरूप है। राउस्पान प्रतच्च
विद्या प्रतिष्ठान के पूर्व निदेशक के रूप में भो झापक्ञों सेदार संस्मरणीय
हैं । राजत्यान के झाधुविक विद्यनों की गयता में प्रारको विस्मृत नहीं
किया जा सकता। भत्तकार धास्त्र के माप भ्म्भीर बिन्तक हैं प्रोर इसी
पर भापने शोधकार्य भी किया है तया भनेऊू महत्त्ववृर्ण फेस नी प्रकाशित
किए हैं।
“शिवराजविजय संस्कृत साहित्य के क्षेत्र में ऐतिहासिक हृति के
रूप में चचित है। उसमें छत्रपति शिवाजी के जोवन चरिष का विवेचन होने
के कारण हो ऐतिहासिक नहीं माना गया है, भपितु ऐसे भनेक दिन्दु है,
जो उसे एक सफल ऐतिहासिक रचना स्वीकारने में सहयोगी हैं॥ ऐतिहा-
सिक विवेचना को सप्रमाण प्रस्चुत बरते के लिए वर्तमान में केस्द्रोप
संस्कृत विद्यापोठ, जयपुर के सा हत्व - दिभाग में प्राध्यापक के रूप में
कार्यरत डा. रुपनारायण विपाठो से सनुरोष किया गया या कि वे शिव-
राजविजय वी ऐतिहासिक दिन्दुघों के परिप्रेष््य में समालोचना प्रस्तुत
करें, इसोलिए उन्होंने “शिवराजविजय को ऐतिहाप्तिश्ता” विपय पर
शोघपत्र प्रस्तुत किया। ऐतिहासिक दृष्टि से किया ग्रया यह विवेचन
वस्तुतः चिन्तनीय एवं श्लाघनीय है 1
केन्द्रीय संस्कृत विद्यापोठ, जयपुर के साहिस्य विभागाध्यक्ष डा. थरो
जगप्तारापण पाण्डेय नें पं. भम्दिकादत्त ब्याच के उस रूप को समीक्षा
को है, जो लोक में दहुत चचित है। पं. व्यात्व को सोय पझ्मिनव दाघ ने
रूप में जानते हैं, परन्तु उनका विचार कितना सोपपत्तिक है, यह इस
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