जब सारा आलम सोता है | Jab Sara Aalam Sota Hai
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
104
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ই द
(-जब, सारा आलम सोता है /.17
षन < ६
नही, हमेशा सिल्क ही पहनता हूं, दीन जीवन मुझे पसन्द नही--चेचिरल
की तरह--कार मेरी ब्यूक प्रेसिडेष्ट । ৪ पर भी अगर कोई ऑरिजि-
नेलिटी न परखे तो हो चुका आज़ाद यह देश !” नदी
“ऑरिजिनल ! ऑरिजिनल !!” चिल्ला उठा सम्पादक অলী“
मोड़े, भारी ऑरिजिनल--महा मौलिक मानव रे 1 क्रिमिनलों की काल
कोठरी से मिकल कर तू विधान परिषद् में आया, सेक्रेटेरियट में पहुँचा;
गडेरिया बन गरीबों को भेडो की तरह चराया, ऊन काठे, गले मारे और
घनी गनी बने बैठा, जिसके सात पुश्त थूक भरी जमीन पर तलवे रमडते
रहे, वह लक भरी ब्यूक पर चलता है।”
“कुछ भी मैं करूँ पर करनी कुछ करके करता हे--सारी जिन्दगी
खटा, जेलो तपा, 21 देखा, 42 देखा तब उस जगह पर पहुँचा। जलता
क्यों है कलम कसाई ?” मोडे भी आख़िर सशे में ही था--“अपनी तो
निवेड ! दूसरों की रोग बला, गर्मी सूजाक, स्वप्नदोप, मिन्दा और द्वैप
पर ही तो चरित्रहीन पत्रकार की मौलिक-माया टिकी है। कहूँ तो नशा
हिरन हो जाएगा। पत्रकार ही आज की दुनिया के गले मे अनीति का
फन्दा कमे हुए अमीरभली ठग है ओर सारी पत्रकार कला है एक शब्द
में--ठग वृत्तान्ते माला ।“
ज्योतिषी को पत्रकार और लीडर की लडाई खल गयी यो कि देर से
बह गांधी जी का मरण मुहूतं वतलाने को व्याकुल था।
“लड़ते क्यों हो?” उसने दोनों से कहा--“गांधी जी हिमालय में
नही, मरेंगे मैदान मे---आज नही 125 वर्ष की उम्र मे---56 साल वाद !
तब तक हममे से कौन रहता है, कौन देखता है। गाधी जी जब मरेंगे तब
शनि शत्र राथिमे चला जायगा, शनि मे शनि का अन्तर और अन्तर मे
गुर का भत्यन्तर होगा---वही क्षण महात्मा के लिए प्राण-वियोगकारक
प्रमाणित होगा ।”
नौकर ने आकर अदव से सूचित किया कि खण्डालावाला साहब से
सी० आई० डी० इन्स्पेक्टर विक्टर मिलना चाहता है। कहता है,
जरूरी काम है।
“बोलो बैठें बाहर !” बिगड़ा अफसर---“दिनों गरायव-गुल रहने के
User Reviews
No Reviews | Add Yours...