श्री जिनदत्त सूरिचारितम | Shri Jinduttsuri Charitam

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Book Image : श्री जिनदत्त सूरिचारितम  -  Shri Jinduttsuri Charitam

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about सेठ छगमल जी - Seth Chhagmal Ji

Add Infomation AboutSeth Chhagmal Ji

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
११ विव संवस्थापन निर्वाण आदि अनेक कल्याणक भूमियोंमे प्राचीन साति- आयित्ीयेभूमियोंपे परिश्रमणकरते हवे और भी अनिर तीप देशीय गुजर चृहत्मर छघुमरु कच्छ काठियाबाड कॉकण छाट वढियार सालव छत्तीसगढ़ वराड मेवाड सिंघुसोवीर पंचालादि अनेकतीर्थोंकी जात्रा कस्ते दे, ओर भनेर गदर प्रामादिकमे अनेक प्राचीन अ्वौचीन श्री जैनमदिरोंके दर्शन शुद्ध भावसे करते हृवे, श्री जन्ुुजयादि तीर्यं भूमि जीर कल्याणफादितीर्थभूमियोफ़ो स्पशन करके आपक्रीने अपने रीर ओर आत्माक़ो पत्रित्रकिया, यथार्थ शुद्धसिद्धान्वका अवगाहनऊरफऊे निर्वद्यभाषा- के खीऊारपूर्वकग्नुद्धमरूपणाकरणेकरके अपने चचनऊों पवित्रकिया पचमहा- अब की २५ झुभभायना तथा अनिद्यादि १२ भापना मननकरके अपने- सनकों पवित्र फीया और दानशीलतपजपसयमाविकिरके त्रिकरणयोगफों पत्ित्रकिया और यथार्थपर्णे परसिद्धान्तोंका अवगाहनकिया,पड़्दगैनका प- दार्थ वार्थं जाणा जीर परमार्थ प्रहणकतिा जीर खसमय परममयका अध्य यनकसफे, ओर्‌ प्राचीन अर्गीचीनसातिदायितीर्थभूमियों रो जौर कल्याण कादि तीर्थभूमियाकों स्पर्शकरके अपने सम्रकितकों निर्मलकिया, विनया- वियुक्तत्ानग्रदण और झुद्ध प्ररूपणाकरके ज्ञानरों निर्मलकिया, आडोयण आयश्वितग्रुद्धभायसें, झुद्दवतमहणकरके असड पाठनेसे चारित्रकों निर्मछ- जिया, वाठारदित वाद्यअमभ्यतर इच्छानिरोधरूपयथाणक्तितपकरके, अ- पतेतपरूप आत्मगुणकों निर्मठक्रिया, और सम्यगडशीनन्नानचारिततपरू- 'पमोक्षमार्गड़ें देशकाछादिकके अनुसारे यथाशक्ति जाराधनकरना यदि म- शुप्यभवका सारदे, इसीछिये आप श्रीने सम्यग्जानसद्िततपसयम आराध- নক रढ निश्चय फिया, और आप श्रीने झद्दोरातिस्साध्याचार विचार




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now