वात्सल्य रत्नाकर | Vatslay Ratnakar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
58 MB
कुल पष्ठ :
826
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)সনি
परम पूज्य, प्रातः स्मरणीय, तपोनिधि, सन्मार्ग दिवाकर, चारित्र चक्रवर्ती १०८ आचार्यशत्री विमल सागरजी महाराज
वर्तमान युग के प्रमुख आचार्य हैं।
आचार्य परमेष्ठी पद पर विराजमान, छत्तीस मुलगुणों के धारक, रत्नत्रय के साधक, बाल-ब्रम्हचारी, परम तपस्वी,
परम विद्रान, पूज्य आचार्यश्री दशक वर्षो से प्रतिष्ठित आचार्य है। चतुर्विध संघ से सुशोभित पूज्य आचार्यशी के
अनेकों शिष्य पूरे भारत में आचार्य, उपाध्याय, मुनि एवं आर्थिका जैसे पावन पदों पर प्रतिष्ठित हैं तथा धर्म के
प्रचार-प्रसार में अविस्मरणीय योगदान कर रहे हैं। दीक्षा और संयम की दृष्टि से आप वरिष्ठतम हैं।
सत्य, अहिंसा, दया, शान्ति, संयम, अपरिग्रह एवं ब्रम्हचर्य के आप प्रतीक हैं। सूर्य सा तेज, चन्द्रमा सी
शीतलता, सागर जैसी गम्भीरता, पर्वत जैसी निर्भकता आचार्यश्री का व्यक्तित्व है। वे त्याग
और वैराग्य की, धर्म और अध्यात्म की, ट | की साक्षात् मूर्ति हैं। सतत साधना एवं तपश्चर्या
ही आपका जीवन है। ह
বিরাট 7 যলাঘিহি हैं। पूर्व से पश्चिम तथा उत्तर से
রা बैकिंटे। आपकी प्रेरणा से कोने-कोने में अनगिनत जिन
মামা निर्माण एवं जीर्णद्धार हुआ है। जिनबिम्बों
পাতি পয দল্দ देने से जिनप्रतिमायें जीवित हो उठती
पूज्य आचार्यश्री जैन धर्म ओर र क्च
दक्षिण पूरे भारत में आचार्यश्री ने अनेकों बा
मन्दिरों, पाठशालाओं, पुस्तकालयों, औषधाल
की प्रतिष्ठा कराने में आचार्यश्री का परम ये নি
ই। घर-घर में मन्दिर हो, सदाचार हे, शी हि রী भावना रहती है।
वात्सल्यमूर्ति, करूणा सागर, लोक शर्ैथीणकारी, जगत् हितैषी, कैः सिद्ध, अत्यन्त उदार आचार्यत्री अत्यन्त
लोकप्रिय हैं। आपकी आत्मा जन-जन के कद््याण मेंडसंलका॥है। आुगैका वात्सल्यभाव मानव कल्याण में हर समय
अग्रसर रहता है। आप आत्म दर्शन वे হী कर्कर लोक यात्रा में संसार के अनन्त प्राणियों
की अपार सहायता करते है। आत्मा ग कल्याण आपके जीवन का प्रमुख लक्ष
है। आप सर्वं हितकारी है।
निमित्त ज्ञानी आचार्यश्री अन्तर्दृष्टा है। आपकी अहर्निश तपस्या के प्रताप से अनगिनत लोग कृतज्ञ हो चुके
है। आपकी आत्मसाधना तथा तपश्चर्या मानव कल्याण के लिए अप्रतिम वरदान है। आप मानव को सांसारिक दुखों
से मुक्ति दिलाकर अणुब्रत धारण करने के लिए प्रेरित करते हैं।
आचार्यश्री के दशन से सिद्ध तीर्थो के दर्शन का अनुभव एवं पुण्य होता है। आचार्यश्री चलते फिरते जैन
तीर्थो मे सम्मेद शिखर है!
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