माँ की तरह | Maa Ki Tarha

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Maa Ki Tarha by भूपेन्द्र शर्मा -Bhupendra Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अहमद बच्चा फनडिस बच्चा नहीं बेटे धरती तो सबकी एक ही है लेकिन बदकिस्मती से हम लोगो ने ही इस बाट दी है। क्यो भला ? क्या हम एक ही जमीन पर वस फर एक साथ नही रट सकते 2 क्यो नही रह सकते ? सारी दुनिया के लोग वसुधैव कूटुम्बकम्‌ की भावना से प्रमपूर्वक मिलजुलकर एक साथ रह सकते दे। (अचानक बच्चे की माँ की पुकार दूर से सुनाई देती है 'मोहम्मद-मोहम्मद जो धीरे-धीरे तेज होती जाती है ) ये तो मेरी अम्मी जान की आवाज है लगता है वो मुझ दूढती-दूढती यहा आ पहुची है। (माँ का प्रवश) मोहम्मद । मेरे लाल ॥ तुम केसे हो ? तुम ठीक तो होना? मौ वच्य को गले लगा लती दै) माँ मै बिल्कुल ठीक हू। ये फौजी बहुत अच्छे है। इन्होने मुझे खाना खिलाया है। अच्छा २ (फौजियो से) आप लोगो का बहुत-बहुत शुक्रिया। मे ता समझ रही थी कि अब मेरे लाल का जिदा लौटना नामुमकिन ही है। ऐसा नही कहते मांजी | हम हिदुस्तानी मासूमो पर ववजह हमला कभी नही करते । खुदा आपको सलामत रखे । कितने भले लोग हे आप । अच्छा अव हम सरहद पार फिर लौटना चाहेगे। नहीं माँ में नही जाउगा। मैं इन फोजी अकलो के साथ ही रहूगा ये मुझे बहुत अच्छे लगते है । नही बेटे नही तुझे क्या मालूम मे किस तरह से यहा तक पहुची हू। अब जिद छोड ओर लौट चल अपने गाव को। (रोते हुए) नही मैं घर नही जाउगा मैं यही रहूगा। (तभी सरहद पार से फोजियो की भारी भरकम टुकडी के आने की गडगड़ाहट सुनाई दंती है)




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