व्यक्तित्व प्रभावशाली जीवन और उसकी प्राप्तिका मार्ग | Vyktitv Prabhavshali Jivan Aur Uski Prapti Marg
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
130
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)व्यक्तित्व
है। वह अपने कार्य-माग तथा दच्छाकी चिन्ता ही नही करता,
क्यों कि वह स्वयं अपनी इच्छाका स्वामी ओर अपने मागंका
नि्माना है । अपन सुख, आराम ओर सम्भोगोको पूणतया भूल
कर वह अपन स्वभाव तथा परकृतिसर उन आदमियोको सुख आर
विश्वास, तथा शक्ति ओर वभव प्रदान करता है, जो कि उसके
सम्पकमें आते है । वह अपन बड़ोंका कितना आदर करता हे
और कितने प्रेम तथा पर्णताके साथ वह अपने माता-पिता, मित्रों
तथा साथर्योके खख आर आनन्दक वास्ते अपने आपको न्योछा-
वर करता हे ! आर सव ही आदमी समस्त विभागोंमें उसकी इस
महती शक्तिको कितनो शीघ्रतांके साथ स्वीकार कर लेते ই!
एक बार दो कुशल गयेयोंने किसी प्रसिद्ध गान-मण्डलीमे
किसी पदक वास्ते प्राथनापत्र भेजे | उनमेंसे एक दुबल शकल
सूरतवाला तथा हाव-भावस जनाना और प्रभावहीन था । वह
व्यक्तित्वहीन था। जब वह गान-मशञ्ज या स्टेजपर आया, तब माल्म
हुआ कि उसकी आवाज तो अच्छी है, किन्तु उसमें कोई मोहिनी
शक्ति और प्रभाव नहीं है। दुसरे आदमीकी आवाज और स्वर
हलके थे तथा उनमें उतना रस भी न था; किन्तु वह अच्छा
व्यक्तित्व रखता था। यद्यापि उसके शरीरकी रचना अच्छी न थी,
तथापि उसके प्रत्यक कदम और चालमें गम्भीरता, वजन और.
आत्माधिकार था | उसकी दृष्टि पड़ते ही दशकगण उसके प्रभा-
वमें आ गये और उनको उसके आत्म-विश्वासका बोध हो गया ।
वह व्यक्तित्वयुक्त आदमी था | उसने वह पद शीघ्र ही प्राप्त कर
लिया; परन्तु सुरीली आवाजवाले किन्तु व्याक्तित्व-हीन पहले
आदमीको वहसे निराश कोटना पड़ा । अतपव यह ठीक हे
कि ५ च्रुरिपूणे व्यक्तित्व हरपक स्थानपर हानिकारक होता है । ”
हम अपने जीवनमें प्रतिदिन ही देखते हैं कि सभा-सुसाइटियोंके
चेटफार्मोपर एक दुबछा पतला और मनन््द आवाजवाला व्याख्यान-
दाता सब श्रोताओंकी अपने वशमें कर लेता है, और खूब जोर
जोरसे व्याख्यान देनेवालोंफो इसमें काइ सफलता प्राप्त नहीं
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