ज्योतिबा फुले | Jyotiba Fuley
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
357
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)8 ज्योतिबा फल
में पढ़ना पसन्द नहीं था। उन्होंने गोविंदराव से कहा कि अंगरेजी
पढ़कर ज्योतिबा बिगड़ जाएगा। फिर उसे अपना पैतक
व्यवसाय ही करना है-मालीगिरी का। फल उगाने और बेचने
का। ज्यादा पढ़ाई-लिखाई व्यर्थ सिद्ध होगी ।
गोविन्दराव उलझन में पड़ गए। वे स्वयं तो चाहते थे कि
बेटा पढ़े-लिखे। पर संबंधी, मित्र, परिचित ज्योततिबा के
विद्या ध्ययन के विरोधी थे। यही नहीं, उन्होंने गोविन्दराव को
एक धमकी भी दी थी। यदि वे ज्योतिबा को पढ़ाएंगे तो उन्हें
जाति -बिरादरी से निकाल दिया जाएगा।
इस धमकी के आगे गोविन्दराव विवश थे। एक दिन
उन्होंने नौ वर्षीय ज्योतिबा को सकल से निकलवा लिया। अब
ज्योतिबा का काम खेती में पिता का हाथ बँटाना था। वे उत्साह से
इस काम में भी जुट गए। लेकिन उनका मन दुखी था, खिनन था।
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