भगवती चरण वर्मा के उपन्यासों में आधुनिकता बोध | Bhagvati Charan Verma Ke Upnayason Mein Adhunikta Bodh

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : भगवती चरण वर्मा के उपन्यासों में आधुनिकता बोध  - Bhagvati Charan Verma Ke Upnayason Mein Adhunikta Bodh

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about इन्द्र बहादुर सिंह - Indra Bahadur Singh

Add Infomation AboutIndra Bahadur Singh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
से प्रभावित थे-उनके प्रसिद्ध उपन्यास 'ए स्टडी इन स्कारलेटर' (1887 ई0) को उन्होंने गोविन्दराम शीर्षक से (1905) में रूपान्तरित भी किया। इसके अतिरिक्त सर कटी लाश (1900 ई0), चक्करदार चोरी ! (1901 ई0) 'जायूस की भूल' (1901 ई0), 'जायूस पर जासूसी? (1904), आदि हैं। गहमरी जी अग्रेजी के जासूसी उपन्यासो से प्रभावित होकर 'जायूस” नामक मासिक पत्र का प्रकाशन किया। इनके उपन्यासों के चरित्र जायूस, डॉकू, हत्यारे हैं किन्तु साथ ही उनके अधिकाश पात्र सामाजिक हैं। उनके सामाजिक उपन्यासो मे चरित्र विकास भी है जो अधिकतर घटनाओ के बदलने के लिए ही हुआ है। उनके उपन्यासो के प्रमुख उद्देश्य (जगत का भला, चतुर होना, अवगुणो का त्याग, “अनरूचिः जी लगाना तथा “कर्तव्य का बोधः इत्यादि है। सक्षेप में वह मनोरजन के साथ ही लोक व्यवहार-ज्ञान देकर पाठक को शिक्षा भी प्रदान करते ह । किन्तु उनके उपन्यासो मँ मनोरजन की प्रधानता हे। मेहता लज्जा राम शर्मा (1863-1931 ई) लज्जा राम शर्मा के उपन्यासो मँ धूर्तं रसिक लाल (1889 ई0)', 'स्वतत्र रमा ओर परतत्र लक्ष्मी (1899 ई0), “आदर्श दम्पत्तिः (1904 ई0), विगडे का सुधार अथवा (सती सुखदेवीः (1907 ई0) “आदर्श हिन्दू (1914ई0), इत्यादि प्रसिद्ध उपन्यासो मेँ है। 'स्वतत्र रमा ओर परतत्र॒ लक्ष्मीः नामक उपन्यास मे रमा ओर लक्ष्मी नामक दो बहनो मेँ रमा अग्रेली शिक्षा से प्रभावित स्वतत्र जीवन बिताने की आकाक्षा स्खती है! लक्ष्मी भारतीय सस्कृति से सराबोर प्रतिब्रता नारी का जीवन व्यतीत करती दै। लेखक भारतीय सस्कृति की महत्ता को प्रतिपादित कर लक्ष्मी को श्रेष्ठ सिद्ध करता दै। यह देखा जाय तो लज्जा-राम शर्मा अपने सारे उपन्यासो के माध्यम से भारतीय सस्कृति को श्रेष्ठ सिद्ध करते हैं। उनके बीस-बाइस उपन्यासो में कुछ तो जीवनी मात्र हैं कुछ अनुवाद मात्र हैं। लज्जा राम शर्मा अपने उपन्यासो का उद्देश्य मनोरजन और शिक्षा प्रद होना दोनो ही माना है।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now