हिन्दी कहानी साहित्य में स्त्रियों की सामाजिक भूमिका | Hindi Kahani Sahitya Me Striyo Ki Samajik Bhoomika
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
263
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)'ब्रह्मचर्यण कन्या युवान विन्दते पतिम'
ब्रह्मचर्य की समाप्ती पर कन्या का पाणिग्रहण
सस्कार होता था |
आश्वलायनश्रौतसूत्र मे समान ब्रह्मचर्यम् कहकर स्त्रियो के लिए भी शिक्षा
की अनिवार्यता सिद्ध की |
वैदिक काल से लेकर ईसवी शताब्दी के प्रारम्भ तक कन्या का
वेदाध्ययन उपनयन सस्कार से प्रारम्भ होता था । सूत्र युगमे भी स्त्रियों वेदो
का अध्ययन करती थी । तथा मत्रोच्चारण करती थी । तैत्तिरीय के उपाख्यान
से प्रमाणित होता है कि कन्याए धार्मिक शिक्षा मे रुचि रखती थी |
वृहदारण्यकोपनिषद् मे विदुषी पुग्री की आकाक्षा व्यक्त की गई है |
अथ य इच्छेद् दुहिता मे पण्डिता जायेत सर्वमायुरियादिति ।
तिलौदन पचचित्वा सर्पिष्मन्तमश्नीयातामीश्वरौ जनयितवै ° ||
त्याग, ओर तपस्या से कन्याएे ऋषि भाव प्राप्त करती थी।| मत्र दृष्टा
ऋषियों की तरह घोषा, गोधा, विश्ववारा, अपाला, रोमशा, लोपामुद्रा प्रभृति अनेक
ऋषिकाओ का उल्लेख मिलता है | इनकी सूची इस प्रकार है---
नाम दृष्टमत्र और सख्या
1 अगस्त स्वसा - ऋग्वेद 10८60८6 एक
2 अदिति - ऋग्वेद 1072 ^1-9 লী
3 अपाला - ऋग्वेद 8/91/1-7জান
4 इन्द्राणी - ऋग्वेद 104८145 ,^1-6 छ
इन्द्राणी - ऋग्वेद 10८61-23 तेईस
5 इन्द्र-मातर - স্তন 10/153/1-5 দাঁল
! अथर्ववेद ((1/5,19)
2 वृहराण्य कोपनिषद (6/4/17)
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