हिन्दी कहानी साहित्य में स्त्रियों की सामाजिक भूमिका | Hindi Kahani Sahitya Me Striyo Ki Samajik Bhoomika

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Hindi Kahani Sahitya Me Striyo Ki Samajik Bhoomika by मालती तिवारी - Malti Tiwari

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about मालती तिवारी - Malti Tiwari

Add Infomation AboutMalti Tiwari

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
'ब्रह्मचर्यण कन्या युवान विन्दते पतिम' ब्रह्मचर्य की समाप्ती पर कन्या का पाणिग्रहण सस्कार होता था | आश्वलायनश्रौतसूत्र मे समान ब्रह्मचर्यम्‌ कहकर स्त्रियो के लिए भी शिक्षा की अनिवार्यता सिद्ध की | वैदिक काल से लेकर ईसवी शताब्दी के प्रारम्भ तक कन्या का वेदाध्ययन उपनयन सस्कार से प्रारम्भ होता था । सूत्र युगमे भी स्त्रियों वेदो का अध्ययन करती थी । तथा मत्रोच्चारण करती थी । तैत्तिरीय के उपाख्यान से प्रमाणित होता है कि कन्याए धार्मिक शिक्षा मे रुचि रखती थी | वृहदारण्यकोपनिषद्‌ मे विदुषी पुग्री की आकाक्षा व्यक्त की गई है | अथ य इच्छेद्‌ दुहिता मे पण्डिता जायेत सर्वमायुरियादिति । तिलौदन पचचित्वा सर्पिष्मन्तमश्नीयातामीश्वरौ जनयितवै ° || त्याग, ओर तपस्या से कन्याएे ऋषि भाव प्राप्त करती थी।| मत्र दृष्टा ऋषियों की तरह घोषा, गोधा, विश्ववारा, अपाला, रोमशा, लोपामुद्रा प्रभृति अनेक ऋषिकाओ का उल्लेख मिलता है | इनकी सूची इस प्रकार है--- नाम दृष्टमत्र और सख्या 1 अगस्त स्वसा - ऋग्वेद 10८60८6 एक 2 अदिति - ऋग्वेद 1072 ^1-9 লী 3 अपाला - ऋग्वेद 8/91/1-7জান 4 इन्द्राणी - ऋग्वेद 104८145 ,^1-6 छ इन्द्राणी - ऋग्वेद 10८61-23 तेईस 5 इन्द्र-मातर - স্তন 10/153/1-5 দাঁল ! अथर्ववेद ((1/5,19) 2 वृहराण्य कोपनिषद (6/4/17)




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now