शिशुपालवध महाकाव्य में ध्वनि तत्त्व - एक अध्ययन | Shishupal Vad Mahakavaya Me Dhavni Tatva (Part-1)

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Book Image : शिशुपालवध महाकाव्य में ध्वनि तत्त्व - एक अध्ययन  - Shishupal Vad Mahakavaya Me Dhavni Tatva (Part-1)

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मँ यह उल्लेख ~ इति श्री भिन्‍नमालव-वास्त॒व्य: दत्तक सूनोर्माध........ माघ को भीनमाल का निवासी घोषित करता है। शिशुपालवध महाकाव्य के 19 सर्ग के चक्रबन्ध श्लोक मे श्लिष्ट रूप मेँ अंकित वत्सभूमि (भीनमाल, जालौर, मारवाड) का संकेत है, जो कति को भीनमाल को निवासी बताता है। प्रबन्ध तथा अन्य तद्विषयक ग्रन्थ माघकवि को भीनमाल का निवासी बताते है। नसन्तगद के शिलालेख तथा ब्रह्मगुप्त के ब्रह्मस्पटसिद्वान्त के आधार पर कवि माघ भीनमाल के ही निवासी सिद्ध होते है। उक्त विवेचन से यही सिद्ध होता है कि माघकवि कौ जन्मभूमि प्राचीन गुजरात प्रान्त के अनतत भीनमाल ही है जो भाग राजस्थान के सिरोही जनपद के निकट एक तहसील है। देशकाल : डा. कीलहार्न को राजपूताने (राजस्थान) के बसन्तगढ नामक स्थान से वर्मलात नामक किसी राजा का 682 विक्रम संवत्‌ अर्थात्‌ 625 ई० का एक शिलालेख प्राप्त हुआ था। भीनमाल . के आसपास के प्रदेश मेँ टस लेख के मिलने के कारण निश्चित ही थे वर्मलात सुप्रभदेव के आश्रयदाता रहे हौँगे। शिशुपालवध काव्य के अन्त मेँ माघ ने पांच श्लोको मँ अपने वंश का वर्णन किया है जिससे ज्ञात होता है कि उनके पितामह सुप्रभदेव गुजरातं के श्रीवर्मलात्‌ नामक राजा के मन्त्री थे। शिशुपालवध कौ हस्तलिखित प्रतियों मे इस राजा को वर्मलाते, वर्मनाभ, धर्मलात ओर धर्मनाभ आदि अनेक नामों से मण्डित किया गया है। उक्त शिलालेख के प्राप्तकर्ता डा. कीलहार्न ने राजा का शुद्ध नाम वर्मलात माना है ओर उनको माघ मँ पितामह सुप्रभदेव का आश्रयदाता स्वीकार किया है। अतः उनके पौत्र माघ का समय उनके लगभग 50 वर्ष बाद अर्थात्‌ 656 ई के आसपास माना जाना चाहिए। आचार्य वामन द्वारा माघकृत्त श्लोक का उद्धरण दिये जने के कारण, माघ 800 ई0 के पूर्व ही माने जायेंगे। शिशुपालवध के द्वितीय सर्गा के श्लोक मेँ राजनीति की तुलना शब्द-विद्या अर्थात्‌. व्याकरण से की गयी है।1 1, अनुत्सूत्र पदन्यासा सद्वृत्तिः सन्निबन्धना शब्दविद्येव नो भाति राजनीतिरपस्पशा।। कामकामिनो 65)




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