समाजवादी आन्दोलन में समाजवादी पार्टी की भूमिका | Samajwadi Andolan Me Samajvadi Parti Ki Bhumika
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
21 MB
कुल पष्ठ :
342
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विचारधारा के आधार पर समाजवाद करा उदय 5
साधनों पर ओर बैकों जैसी संस्थाओं पर सभी राज्य का प्रभुत्व हो |“
आचार्य नरेनद्रदेव के अनुसार-“समाजवाद का उदेश्य एक वर्ग विहीन समाज की स्थापना करना है,
जिसमे न कोई शोषक हो, न शोषित, बल्कि समाज सहकारिता के आधार पर निर्मित व्यक्तियों का
एक सामूहिक संगठन हो |“ .
जय प्रकाश नारायण के अनुसार- “समाजवादी समाज एक ऐसा वर्गरहित समाज होता है, जिसमें
सभी समान होते हैं। यह एक ऐसा समाज होता है, जिसमें व्यक्तिगत सम्पत्ति के लिए मानवश्रम का
शोषण नहीं होता, जिसमें समस्त सम्पत्ति वास्तविक रुप में राष्ट्रीय होती है,जिसमें किसी को बिना
कुछ किये नहीं मिलता और जिसमें आप की अधिक असमानताएं नहीं होती, तथा जिसमें मानव का
संचालन व उसकी उन्नति योजनाबद्ध ढंग से होती है तथा जिसमें सब व्यक्तिगत सबके लिए जीवित
रहते है |”
इन परिभाषाओं की समीक्षा करने पर यह निष्कर्ष निकलता है कि समाजवाद न केवल एक
राजनीतिक दर्शन है वरन् यह एक महान आन्दोलन भी है। यह व्यक्तिवाद के विरुद्ध एक तीव्र
प्रतिक्रिया है। समाजवादी समाज एक एेसा वर्ग विहीन समाज होता है. जिसमे व्यक्तिगत सम्पत्ति
वास्तविक रुप में राष्ट्रीय सम्पत्ति होती है.जिसमे प्रत्येक व्यक्ति को परिश्रम करने पर ही पारिश्रमिक
मिलता है ओर जिसमे आय की अधिक विषमता नही होती है | जिसमें मानव जीवन का संचालन व
उसकी प्रगति योजनाबद्ध तरीके से होती है तथा जिसमें सभी व्यक्ति सबके लिए जीवित रहते है!
समाजवाद के तत्व-
समाजवादी के सिद्धांत के प्रमख तत्व निम्नवत हैँ -
1. समाजवादी समाज वह है जहो उत्पादन ओर वितरण के साधनों पर समाज का स्वामित्व हो,
जरह राज्य समाज के प्रतिनिधि के रुप में इन साधनो पर नियंत्रण रखे तथा राज्य केवल व्यवस्था के
रूप मे स्थित रहे, लेकिन माक््सवाद पर आधारित समाजवाद राज्य उन्मूलन के पक्षमे है ।
गो पं0 जवाहरलाल नेहरु - विश्व इतिहास की झलक, खण्ड-2, पृष्ठ 761
৭0. आचार्य नरेन्द्र देव- राष्ट्रीयता और समाजवाद, पृष्ठ 409
তি जय प्रकाश नारायण- दि फाउन्डेशन ऑफ सोशलिज्म, (1936), बिमला प्रसाद, पृष्ठ 12-13
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