भारतीय कला और साहित्य में राधा -कृष्ण सम्प्रदाय | Cult Of Radha-krishna In Indian Art And Literacture

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Cult Of Radha-krishna In Indian Art And Literacture by लिली अग्रवाल - Lili Agrawal

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about लिली अग्रवाल - Lili Agrawal

Add Infomation AboutLili Agrawal

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
आभार प्रस्तुत शोध-कार्य की पूर्णता के लिए अपने श्रद्धेय गुरुजनो विद्वतृजनो परिजनो, मित्रो एव शुभेच्छुओ के प्रति आभार के दो शब्द व्यक्त करना भै अपना परम कर्तव्य समञ्जती हू. जिनके बहुविध सहयोग के बिना यह कार्य अत्यन्त दुष्कर हो जाता | सर्वप्रथम मे उस अलौकिक, दिव्य एव सर्वव्याप्त महत्‌ सत्ता कं प्रति अपना नमन अर्पित करती हूँ जिसने मुझे न केवल इस विषय पर कार्य की प्रेरणा प्रदान की, अपितु सदेव अपने राधा कृष्ण रूपी स्नेहमय सरक्षण मे रखा । गुरू-शिष्य परपरा, भारतीय सनातन परपरा है । पृथ्वी पर जब दिव्य शक्तियो (राम व कृष्ण) का प्रादुर्भाव हुआ, तो वे भी गुरू की शरण मे गये । ज्ञान की प्राप्ति असहज है लेकिन गुरू उसको सहज बना देता है । गुरू ही वह रस्सी है, जिसको पकडकर ज्ञान की गगा मे गोते लगाये जा सकते हे ओर उसी रस्सी को पकडकर भवसागर से पार हुआ जा सकता है। जैसा कि सर्वविदित है कि- गुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु, गुरूर्देवो महेश्वर । गुरू साक्षात्‌ परब्रह्म, तस्मै श्री गुरूवे नम ।। प्रस्तुत शोध-प्रबन्ध के विषय-चयन से लेकर पूर्णाहुति तक निरन्तर ० पुष्पा तिवारी, (वरिष्ठ प्रवक्ता, प्राचीन इतिहास, सस्कृति एव॒ पुरातत्व विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय) से जो प्रेरणा, प्रोत्साहन एव उचित मार्गदर्शन मुझे प्राप्त हुआ, उसके अभाव मे उक्त अध्ययन सम्भव नही था। विश्वविद्यालय के कार्यों मे अत्यधिक व्यस्त (४1५)




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now