हरित क्रांति के पश्चात भारतीय कृषि निर्योतों का विश्लेषण एवं संभावनाएं | Harit Kranti Ke Pashchat Bhartiya Krishi Niryoton Ka Vishleshan Evam Sambhavnayein

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Book Image : हरित क्रांति के पश्चात भारतीय कृषि निर्योतों का विश्लेषण एवं संभावनाएं  - Harit Kranti Ke Pashchat Bhartiya Krishi Niryoton Ka Vishleshan Evam Sambhavnayein

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पूर्व कृषि निर्यातों से दुर्लभ विदेशी मुद्राओं की व्यापक आय हुई। साथ ही साथ अन्य प्रतिस्पर्धी राष्ट्रो के साथ पूर्ण व्यापारिक स्वतन्त्रता एव प्रतिस्पर्धा की स्थिति सम्मानजनक स्तर पर अवस्थित रही। बाजार के नियामक तन्‍त्र मॉग एव पूर्ति के माध्यम से आर्थिक व्यापारिक सरचना तन्त्र गत्यात्मक अवस्था मे विकसित होता रहा | निर्यातजन्य आयो के सापेक्ष आयातो के बावजूद भी प्राय अर्थव्यवस्था मे अतिरेक सृजित होता रहा है। उल्लेख्य है कि ब्रिटिश शासन काल मे ओपनिवेशिक मानसिकता के कारण ब्रिटिश नियामको ने सदैव ही भारतीय कृषिजन्य एव अन्य उत्पादो को निर्यात के लिए हतोत्साहित करने का प्रयास किया। वे कृषि नियति के स्थान पर उत्पादो को कच्चे माल के रूप मे प्रयुक्त करते रहे। फलत निर्यात आय मे कमी एव आयात आय मे स्वाभाविक वृद्धि दर्ज हो गयी | आयात के प्रति अति-उदारता तथा ब्रिटिश उद्योगो हेतु कच्चे मालो की आपूर्ति सस्ती दरो पर सुनिश्चित करने से जहौँ एक ओर मोग प्रेरक लाभ सभावनाओ को धक्का लगा वही विदेशी आयोपलब्धियो मे भी कमी आयी । इसकं साथ ही विनिर्मित वस्तुओ हेतु भारतीय विकसित बाजार पगुता ग्रहण करता हुआ ब्रिटिश साम्राज्य का स्वतन्त्र, सुरक्षित एव व्यापक बाजार का रूप ग्रहण करता गया। ऐसी कठोर अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक दर्व्यवस्था के बावजूद भी भारत- ब्रिटेन को एव अन्य यूरोपीय देशो को परम्परागत उत्पादो का निर्यात करता रहा। इससे हमारी कृषि सरचना का उल्लेखनीय स्तर बोध प्रदर्शित होता है। स्वतन्त्रता से पूर्वं कुछ वर्षो तक कृषि की निर्यतिोन्मुख मदो को हतोस्ताहित किया गया तथा उसके सापेक्ष स्थानापन्न उत्पादो को निर्मितं करने के सदर्भं में उल्लेखनीय प्रयास, उद्यम एव अनुसंधान किये गये। इससे कृषि ढॉचे एव उसकी मूलभूत सरचना को वृहद स्तर पर क्षति उठानी पडी, साथ ही साथ कृषि आधारित औद्योगिक उत्पादनो को भी उच्चावनो का शिकार होना पडा यह दौर भारतीय कृषि एव कृषि निर्यातो के लिए शोषण पर आधारित प्रतिकूल व्यापार की शर्तों तथा विविधीकृत मोग की दशाओं को जनित करने वाला था। [3]




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