कुरान | Kuran

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Kuran by प्रेम शरण आर्य - Prem Sharan Aary

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रारहम फ्री दीनिहिस्साध्काध्न्‌ तरून्‌ ॥ २३ यह (स्वार्थ) इस लिये कि, इनकी धारणा है कि, हमको नक (दोज़ख़) की झाग छूयेगी सी नहीं । यदि छूयेगी भी, तो केवल गिचती के कुछ दिन । और बढ़-बढ़ के बातें बनाते रहने से इनको झपने दीन के सम्बन्ध में श्रम हो गया (५) फू कयफा इजा जसझअ,नाहम लियउसिलला5 रय्‌बा फीहि व चुफ्फ़ियत्‌ छुलल॒ नफ्सिम्मा5 दूर्दा फिर उस दिन जिसके झागमन में तनिक भी सन्देह नहीं (इनकी; कसी (गति) बनेगी । जब कि, हस इनको (झपने समझते लेखा देने के लिये) एकत्रित करेंगे शऔर प्रत्येक पुरुष को, जैसा उसने (संसार में) कर्म किया है, पूरा २ प्रतिफल दिया जायगा छौर लोगों (का झधिकार झपहरण करके, उन; पर न किया जायगा | फेशम्बर से न्याय करावें । जब मुहम्मदला ० ने कुगन श्र तौरेते के श्रनुसार छसे संगसार करनेकी आज्ञा दी तो यहूदियोंने कहा कि साहब ने कहा कि तौरेत लाओो । तौरेत दिखाई गई, परन्तु पे सा०की इम्मी अपठित) समझ कर संगसारी की झाज्ञाको हाथ से छिपा यह सोचकर कि किसी प्रकार इसे संगसारी से बचा लें कहा कि. चलो नये




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