गोस्वामी तुलसीदास | Goswami Tulsidas
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
55 MB
कुल पष्ठ :
381
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about बाबू शिवनन्दन सहाय - Babu Shivnandan Sahay
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ८ )
यँ्पि इनमें भी तुलसी का जीवन-चरित ही वरिन है, जब कि तीसरी पुस्तक में विस्तृत जीवनी
तो है ही, साथ ही साथ कृतियों का विशद् विवरण और साधिकार मूल्यांकन भी हैं ।
शिवनन्दन सहाय ने उन सभी प्राचीन भक्त-चरित-लेखकों तथा समसामयिक विद्ठानों
एवं दीकाक्रासो आदि के मत-मतांतरों का यथास्थान उल्लेख कर अपने अंथ को प्रामाणिक
बनाने की चेष्टा की है, जिन्होंने सविस्तर या संक्षेपतः पुस्तकों या पन्न-पत्रिकाओं में तुलसीदास
के जीवन या साहित्य पर कुछ लिखा था । इनमें निम्नलिखित का उल्लेख किया जा सकता हे:
भक्तमाल, प्रियादास-कृत भक्तमाल की टीका, श्रीसीताराम भगवान प्रसाद-कृत भक्तमाल की
टीका, वेशीमाधवदास-कृत मूल गोसाइवरिंत, शित्रसिंह सरोज, इंपीरियल गेजेटियर, महादेव
प्रसाद-कृत भक्तिविलास, श्रीराधाचरण गोस्वामी-कृत नवभक्तमाल, तुलसीराम अग्रवाल-कृत
उदू. भक्तमाल, राजाप्रतापसिंह-कृत भकक्तकल्पद्र म, भक्तिसिधु, वृहद् रामायण-माहात्म्य,
रघुवरदास-कृत तुलसीवरित्र, महाराज रघुराजसिंह-कृत सक्तमाला राम-रसिकावली, हिंदी
नवरत्न, 'हरिबर'-कृत भकतमाला, हरिभक्तिप्रकाशिका, बलदेवदास-कृत राजापुर-माहात्म्य,
आदि; तथा रेवरेंड एडवबिन ग्रीव्ज, एफ्० एस्० ग्राउज, बिलसन, ग्रियसन, श्यामसुन्दरदास,
रानी कमलककुअरी (कमलकुमारी), रामगुलाम द्विवेदी, सुधाकर द्विवेदी, रघुराजकिशोर,
गोरीशंकर द्विवेदी, गोविन्दवह्लम शास्त्री, योगेन्द्रमोहन दत्त, उवालाप्रसाद, रमेश्वर भ,
वै जनाथदास, रघुवश शर्मा, शिवनन्दन मिध्र, रोशनलाल, काष्ठजिह्वा स्वामी, खखदेवलाल
सक्सेना, रामचरणदास, शिवरामसिंह, ग्रसहाय लाल, ज्ञानी संतसिह, शिवलाल वारुक आदि |
इनके अतिरिक्त, काल-क्रम की दृष्टि से शिवनन्दन सहाय के पूर्व तुलसीदास पर विचार
करनेवाले दो ही श्रन्य विदान् हैं, जिनका उल्लेख वे नहीं कर पाये हैं। ये विद्वान् हैं--गार्सा द
तासी तथा एल्० पी० ठेसीटरी, पहले फ्रांसीसी और दूधरे इतालवी ओर फलतः सहायजी के
सम्बन्ध में दुष्प्राप्प । सहायजी के बाद तुलसीदास पर जो अध्ययन-अनुसन्धान हुए हैं, उनपर
यहाँ कुछ कहना अनावश्यक है ।
द शिवनन्दन सहाय-लिखित यह पुस्तक ही वस्तुतः तुलसीविषयक प्रथम सर्वा गपूर्णा
पुस्तक है, ओर घत्य तो यह है किं इसके पूवं हिन्दी के किसी प्राचीन कवि पर हिन्दी में इतनी
वृहत् एवं ऐसी सुविचारित पुस्तक नहीं लिखी गई थी । यहाँ यह उल्लेख अप्रासंगिक न होगा
कि शिवनन्दन सहाय की ही पुस्तक सचित्र हरिश्चन्द्र, जो १६०४५ में प्रकाशित हुईं थी, हिन्दी
के किसी आधुनिक साहित्यकार पर भी लिखित सर्वप्रथम तथा परिपूर्ण पुस्तक है, ययपि
पुस्तक का वह बहुत बड़ा भाग वस्तुतः प्रकाशित हो ही नहीं पाया, जिसे प्रकाशक उस समय
प्रकाशित करने का साहस न कर पाया होगा, और बाद में जिसे सहायजी के घनिष्ठ मित्र
“हरिऔध' जी सहायजी के पुत्र ब्रजनन्दन सहाय से माँगकर ले गये, तो उसके लौटये जाने की
नौबत ही न आई, और जिसे अब लुप्त ही समझना चाहिए !*
इसमें सन्देह नदीं किं शिवनन्दन सहाय तुलसीदास तथा हरिश्चन्द्र-विषयक पने. दो
ग्रन्थो के कारण हिन्दी मे अविस्मरणीय बने ररहगे !
१. आचाय शिवपूजन सहाय से श्रुत ।
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