निजवार्ता घरुवार्ता | Nijvarta Gharu Varta
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
118
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about द्वारका दास पारीख - Dwarka Das Parikh
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मी ्ाचायजी की निजवार्ती [ ७
सो भो आचायजी महाप्रम आप उहां रात्रिकां पोदे।
इतने मर श्री गोवद्ध ननाथजी अप पधारे । तब श्रीआचार्खजी
महाप्रभू तो आप निद्रा में हते । तब श्रीगोवद्ध ननाथजी नें
श्री आचायजी महाप्रभूनके केश दावे । तब श्री आचार्यजी
महाप्रभू तत्काल जागि परे । देखों तो श्री गोबद्ध ननाथजी
आगें ठाढ़े हैं। तब श्रीआचाय जी महाप्रभ्ू आप उठिके
श्रीहस्त जोरिके' ठे भदे ! तव श्री गोबद्ध ननाथजी कहै जो
एेसो गर्वित बचन याको सुनिके वाके घर में आप क्यों रहे ?
में तो तिहारे पांडे पांछे' लाग्यो डोलतई हों । एक छिनहेँ नहीं
छोडत । यह तुमकों राजासों कहा मिलावेगो | एसी तो कोरि
राजा तुम्हारे चरणारविंद की अमिलाषा करत हैं । ओर
करेगे । आप उठो याके घर मति रहो | মী तत्काल में श्री
आचाय जी महाप्रभ आप उहांते' उठि चले। सो उहां नगर
के बाहर जलासय हुतो | तहां श्रीआचायंजी महाप्रभ आप হলাল
सन्ध्या करिफे' कृष्णदेव रांजाकी सभा कों पधारे ।
सो कृष्णदेव राजा फे इहां आये । तहां वेष्ण॒व सम्प्रदायको
ओर स्मातं सस्प्रदाय को आपुसमे गरो होत हतो । सो
वैष्णव सम्प्रदाय के बड़े बड़े आचाय महन्त । बहुत मेले भऐ
हते सो युक्ति सोंस्मातं जीते । सोवा दिना यह गरो
चुकत हतो । तव श्री आचायंजी महाप्रभु के मामा ने रजा
कुंप्णदेव सों कहे जो आज झगरो चुकबे उपर है । सो द्वारपाल
सों कहि राखो जो आज कोई नयो ब्राह्मण न आवन एवि ।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...