निजवार्ता घरुवार्ता | Nijvarta Gharu Varta

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Nijvarta Gharu Varta by द्वारका दास पारीख - Dwarka Das Parikh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मी ्ाचायजी की निजवार्ती [ ७ सो भो आचायजी महाप्रम आप उहां रात्रिकां पोदे। इतने मर श्री गोवद्ध ननाथजी अप पधारे । तब श्रीआचार्खजी महाप्रभू तो आप निद्रा में हते । तब श्रीगोवद्ध ननाथजी नें श्री आचायजी महाप्रभूनके केश दावे । तब श्री आचार्यजी महाप्रभू तत्काल जागि परे । देखों तो श्री गोबद्ध ननाथजी आगें ठाढ़े हैं। तब श्रीआचाय जी महाप्रभ्ू आप उठिके श्रीहस्त जोरिके' ठे भदे ! तव श्री गोबद्ध ननाथजी कहै जो एेसो गर्वित बचन याको सुनिके वाके घर में आप क्‍यों रहे ? में तो तिहारे पांडे पांछे' लाग्यो डोलतई हों । एक छिनहेँ नहीं छोडत । यह तुमकों राजासों कहा मिलावेगो | एसी तो कोरि राजा तुम्हारे चरणारविंद की अमिलाषा करत हैं । ओर करेगे । आप उठो याके घर मति रहो | মী तत्काल में श्री आचाय जी महाप्रभ आप उहांते' उठि चले। सो उहां नगर के बाहर जलासय हुतो | तहां श्रीआचायंजी महाप्रभ आप হলাল सन्ध्या करिफे' कृष्णदेव रांजाकी सभा कों पधारे । सो कृष्णदेव राजा फे इहां आये । तहां वेष्ण॒व सम्प्रदायको ओर स्मातं सस्प्रदाय को आपुसमे गरो होत हतो । सो वैष्णव सम्प्रदाय के बड़े बड़े आचाय महन्त । बहुत मेले भऐ हते सो युक्ति सोंस्मातं जीते । सोवा दिना यह गरो चुकत हतो । तव श्री आचायंजी महाप्रभु के मामा ने रजा कुंप्णदेव सों कहे जो आज झगरो चुकबे उपर है । सो द्वारपाल सों कहि राखो जो आज कोई नयो ब्राह्मण न आवन एवि ।




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