हिंदी कविता भाग 1 | Hindi-kavita, 1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
267
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ७ )
अचल जड़ित तारक-शशि-रवि,
गिरि-आसीना, कला प्रवीना के
मोहक नूपुर मग पद् पर।
जन-मन-तन-भू चिर संचित सुख,
वार-वार इन मृदु चस्णो पर।
सुखद कल्पना सिक्त नयन-दल,
मोहित होत्ता जल-थल प्रति पल,
स्नेह-षृष्टि पाने चितवन की
दोड़ अरे गिर उन चरणों पर,
उल्ल चित कर कूप व्याधि मय,
उस बीणा में शाश्वत स्वर-लय,
करने दौड छोड कटक भय,
बार-बार जीवन चरणों पर,
शत-शत सुख, शत्त-सहस प्रलोभन,
देख नहीं तत्समाकार बन,
वार वार जीवन चरणों पर,
जन-तन-मन-भू-चिर सचित सुख !
सान्दर्यन-प्रमा, रवि की दीत प्रभा, देव - कन्या कबिता के मथुमय
देश म ग्रवेश परत ही विपत्ति “विधुय मुसकानँ आंसू
बहाने लंगी--
अय विपत्ति-विधुरा मुसकान | मधुर नंदन-*तरु स्थित ओस !
निरखती हुई यौवन,यौवन कान्ति, समुत्पन्नित जीवन की भूल ।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...